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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एतेसिं चेव वेन्विता, जोइसियाणं एवं चेव नवरं तासिं णं सेढीणं विक्खंभसूई बिच्छप्पनंगुलसयवगलिभागो पयरस्स, वेमाणियाणं एवं चेव नवरं तासिं णं सेढीणं विक्खंभसूई अंगुलवितीयवगमूलं तइयवगमूलपडुप्पन अहवणं अंगुलतइयवम्गमूलधणप्यमाणमेत्ताओ सेढीओ सेसं तं चेव । १८०॥ सरीरपयं १२ ॥ | कतिविधेणं भंते! परिणामे पण्णते?, गो०! दुविहे परिणामे पं० ०-जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे यो१८११वपरिणामे | णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! दसविथे पं००-गतिपरिणामे इंदिय० कसाय० लेसा० जोग० उवओगणाण० देसण० चरित्त० वेदपरिणामे । १८२१ गतिपरिणामे णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! चउव्विहे ६० तं०-नत्यगतिपरिणामे तिरिय० मणुय० देवगतिप०, इंदियपरिणामे णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! पंचविधे पं० २०-सोतिंदिय० चक्खिदिय० धाणिदिय० जिभि (प्र०रसणिं) दिय० फासिंदियपरिणामे, कसायपरिणामे णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! चविधे पं० २०-कोह० माण० माया० लोभकसाय५०, लेस्सापरिणामे णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! छविहे पं० २०-कण्ह० नील० काउ० तेउ० पम्ह० सुक्कलेसाप०, जोगपरिणाम णं भंते! कइविहे पं०?, गो०! तिविधे पं० २०-मण० वइ० कायजोगप०, उवओगपरिणामे णं भंते! कइविहे पं०?, गो०! दुविहे पं००-सागारोवओगप० अणागारोवओगप०, णाणपरिणामे णं भंते! कइविहे पं०?, गो०! पंचविहे पं००-आभिणिबोहिय० सुय० ओहि० मणपज० केवलणाणप०, अण्णाणपरिणामे णं भंते! कइविहे पं०? गो०! तिविहे पं० २०-मइअण्णाणप० सुयअ० ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित | १८१ For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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