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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | नो अचमे य अवत्तव्क्याईच नो अचरमाईच अवत्तव्वए य नो अचरमाइंच अवत्तव्वयाइं च नो चमे य अचरमे य अवत्तव्वर य नो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाई च नो चरमे य अचरमाई च अवत्तव्वए य नो चरमे य अचमाइं च अवत्तव्वयाई च सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य सिय चरमाई च अचरमे य अवत्तव्वयाई च सिय चरमाइं च अचरमाई च अवत्तव्वए य नो चमाइं च अचरमाइं च अवत्तव्व्याई च, छप्पएसिए णं भंते! पुच्छ।, गो०! छप्पएसिए णं खंधे सिय चमे नो अचरमे सिय अवत्तव्वए नो चमाई नो अचरमाई नो अवत्तव्वयाई सिय चरमे य अचरमे य सिय चरमे य अचरमाइं च सिय चरमाई च अचरमे य सिय चरमाई च अचरमाइं च १० सिय चमे य अवत्तव्वए य सिय चमे य अवत्तव्वयाई च सिय चमाई च अवत्तव्वए असिय चरमाइं च अवत्तव्वयाइं च नो अचरमे य अवत्तव्यए य नो अचरमे य अवत्तव्वयाई च नो अचरमाइं च अवत्तव्वए य नो अचरमाइं च अवत्तव्वयाइं च सिय चरमे य अचरमे य अवत्तव्वए य नो चरमे य अचरमे य अवत्तव्वयाई च नो चरमे य अचरमाई च अवत्तव्वए र नो चरमे य अचरमाई च अवत्तव्वयाई च सिय चरमाइं च अचरमे य अवत्तव्वए य सिय चमाइंच अचरमेय अवत्तव्क्याइंच सिय चरमाईच अचरमाइंच अवत्तव्वए य सिय चरमाईच अचरमाइंच अवत्तव्वयाई च २६, सत्तपएसिए णं भंते! खंधे पुच्छा, गो०! सत्तपएसिए णं खंधे सिय चरिमे णो अचरिमे सिय अवत्तव्वर णो चरिमाई णो अचरिमाइं णो अवत्तव्वयाई सिय चरमे य अचरमे य सिय चरमे य अचरमाइं च सिय चरमाइं च अचरमे य सिय चरमाई ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ | १५७ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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