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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyarmandir किसीकुमारसमणे चित्तं सारहिं एवं ३०-अवियाई चित्ता! जाणिस्सामो, तए णं से चित्ते सारही केसि कुमारसमणं वंदइ नमसइ ता|| जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ त्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए । ६१ । तए णं से चित्ते सारही कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिलियंमि अहापंडुरे पभाए कयनियमावस्सए सहस्सरसिमि दिणयरे तेयसा जलंते साओ गिहाओ णिग्गच्छइ त्ता जेणेव पएसिस्स रत्रो गिहे जेणेव पएसी राया तेणेव उवागच्छइ ना पएसि रायं करयल जाव तिकटु जएणं विजएणं वद्धावेइ त्ता एवं०-एवं खलु देवाणुप्पियाणं कंबोएहिं चत्तारि आसा उवणयं उवणीया ते य मए देवाणुप्पियाणं अण्णया चेव विणइया तं एह णं सामी! ते आसे चिटुं पासह, तए णं से पएसी राया चित्तं सारहिं एवं ३०-गच्छाहि णं तुम चित्ता! तेहिं चेव चाहिं आसेहिं चाउग्घंट आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेहि ता जाव पच्चप्पिणाहि, तए णं से चित्ते सारही पएसिणा रन्ना एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्ठजावहियए उवट्ठवेइ त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ, तए णं से पएसी राया चित्तस्स सारहिस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हद्वतुजावअप्पमहग्याभरणालंकियसरीर साओ गिहाओ निग्गच्छइ त्ता जेणामेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ त्ता सेयवियाए नगरीए मझमझेणं णिग्गच्छइ, तए णं से चित्ते सारही तं रह गाई जोयणाई उभामेड, तए णं से पएसी राया उण्हेण य तण्हाए य रहवाएणं परिकिलते समाणे चित्तं सारहिं एवं व०-चित्ता परिकिलंते मे सरीरे पावत्तेहि रहं, तए णं से चित्ते सारही रहं पावत्तेइ जेणेव मियवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ पएसिं रायं एवं || श्री राजप्रश्रीयोपांगम् ॥ | ७७ । पू. सागरजी म. संशोधित For Private and Personal Use Only
SR No.021015
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages121
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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