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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir मणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणइढवेयइढ गिरिविभत्तस्स लवणंजलहिपरिगयस्स छव्विहकालगुणकामजुत्तस्स अद्धभरहस्स सामिका धीर कित्तिपुरिसा ओहबला अइबला अनिहया अपराजियसत्तुमद्दणरिपुसहस्समाणमहणा साणुक्कोसा अमच्छरी अचवला अचंडा मितमंजुलपलावा हसियगंभीर महरभणिया ( महर परिपुण्णसच्चवयणा पा० ) अब्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खणवंजणगुणोववेया ||माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसव्वंगसुंदरंगा ससिसोमागार कं तपियदंसणा अमरिसणा पयंडडंडप्पयारगंभीर दरिसणिजा तालद्धउ व्विद्धगरुल केऊ बलवगगजंतदरितदम्पितमुट्ठियचाणूरमूरगा रिट्ठवसभघातिणो केसरिमुहविष्फाडगा दरितनागदम्पमहणा जमलज्जुणभंजगा महासउणिपूरणारिवू कंसमउडमोडगा जरासिंधमाणमहणा तेहि य (अब्भपडलपिंगलुज्जलेहिं पा० ) अविरलसमसहियचंड मंडलसमम्प भेहिं (मंगलस्यभत्तिच्छे यचित्तियखिखिणिमणिहे मजालविइय परिगयपेरंतकणयघंटि| यपयलियखिखिणितसुमहु र सुइसुह सद्दालसोहिएहिं सपयरगमुत्तदालम्बन्त भूसणेहिं नरिंदवामप्पमाणरुं दपरिमंड लेहिं सीयायववायवरि सविसदोसणासेहिं तमरयमलबहु लपडलधाडणपहारे हिं मुद्धसुह सियच्छायसमणुबद्धेहिं वयरामय वत्थिणिउणजोइयअडंसह स्सवर कं चणसलागनिम्मिएहिं सुविमलर ययसुट्टुच्छइएहिं णिउणोवियमिसिमिसितमणिरयण सूरमंडलवितिमिरकर निग्गयपडिहयपुणरविपच्चोवयंतचंचलमरीइकवयं विणिम्मुयंतेहिं पा० ) सूरमिरीयकवयं विणिभ्मुयंतेहिं सपतिदंडे हिं आयवत्तेहिं धरिज्जंतेहिं विरायंता ताहि य पवरगिरिकुहर विहरणसमुट्ठियाहिं निरुवहयचमर पच्छिमसरीरसंजाताहिं अमइलसियकमल॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ ३० पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021012
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages79
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size10 MB
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