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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir य सुव्वया दुव्वया निरुवसागया दोन्नि ॥५॥अरूणे अरूणाभे खलु अरूणप्पह अरूणकन्त-सिटे यो अरूणझए य छठे भू(प्र० चू) य-वडिंसे गवे कीले ॥६॥(x चाली सहि असीई सही सट्ठी य सहि दससहस्सा। असिई चत्ता चत्ता वए वइयाण सहसाणं ॥७॥ बारस अट्ठारस चवीसं तिविहं अट्ठारसाइ विडेयो धन्नेण तिचोव्वीसं बारस बारस य कोडीओ ॥ ८॥ उल्लण-दन्तवण-फले अभिङ्गणुव्वदृणे सिणाणे यो वत्थ-विलेवण-पुष्फे आभरणं धुव-पेज्जाइ॥९॥ भक्खोयण-सूय-घए सागे माहुरजेमणऽण्ण-पाणे यो तम्बोले इगवीसं आणन्दाईण अभिग्गह। ॥१०॥उ8 सोहम्म पुरे लोलूए अहे उत्तरे हिमवन्ते। पञ्चसए तह तिदिसिं ओहिण्णाणं तु दसगस्स॥ ११॥ दंसण-वय-सामा-इय-पोसह-पडिमा-अबम्म-सच्चित्ते आरम्भ-पेस-उद्दिढवजए समणभूए य॥ १२॥ इकारस पडिमाओ वीसं परियाओ अणसणं मासे। चउपलिया महाविदेहम्मि सिज्झिहि ॥ १३॥ ४) ५८॥ उवासगदसाओ समत्ताओ। उवासगदसाणं सत्तमस्स अङ्गस्स एगो सुयखन्धो दस अन्झयणा एक्कसरगा दससु चेव दिवसेसु उद्दिस्सन्ति तओ सुयखन्थो समुहिस्सइ अणुण्णविजइ, दोसु दिवसेसु अङ्गंतहेवा ॥५९॥सालहीपियझयणं १०॥इति उपासकदशांगं सूत्रं सम्मत्ती प्रभु महावीर स्वामीनीपट्ट परंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा- चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक-सैलाना नरेश प्रतिबोधक-देवसूर तपागच्छ-समाचारी संरक्षक-आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्य देवेश श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ़ प्रतापी, सिध्धचक्रआराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म.सा. ॥उपासकदशांगं सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021009
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages65
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size7 MB
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