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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir महावीरस्स जेटे अन्तेवासी इन्दभूई नामं अणगारे गोयमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए बजरिसहनारायसङ्घयणे|| कणगपुलनिघसपम्हगोरे उगत्तवे दित्ततवे तत्ततवे घोरतवे महातवे उराले घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबम्भचेरवासी उच्छूढसरीरे सवित्तविउलतेउलेसे छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अपाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं से भगवं गोयमे छक्खभणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ बिइयाए पोरिसीए झाणं झियाइ तइयाए पोरिसीए अतुरियं अचवलं असम्भन्ते मुहपुत्ति पडिलेहेइ त्ता भायणवत्थाई पडिलेहेइ त्ता भायणवत्थाई पमजइत्ता भायणाई उग्गाहेइत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ त्ता एवं वयासी इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए छटुक्खमणपारणगंसि वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबन्धं रेह, तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेण अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियाओ दूइपलासाओ चेइयाओ |पडिणिक्खमइ त्ता अतुरियमचवलमसम्भन्ते जुगन्तरपरिलोयणाए दिट्ठीए पुरओईरियं सोहेमाणे जेणेव वाणियगामे नयरे तेणेव उवागच्छइ त्ता वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडइ, तए णं से भगवं गोयमे वाणियगामे नयरे जहा पण्णत्तीए तहा जाव भिक्खायरियाए अडमाणे अहापज्जतं भत्तपाणं सम्म पडिग्गाहेइ त्ता वाणियगामाओ पडिणिग्गच्छइ त्ता कोलायस्स सन्निवेसस्स अदूरसामन्तेणं वीईवयमाणे बहुजणस निसामेइबहुजणो अन्ममन्नस्स एवमाइक्खइ० एवं खलु देवाणुप्पिया! समणस्स ॥ ॥पासकदशांग सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021009
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages65
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size7 MB
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