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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir | हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था, से णं आणंदे गाहावई बहूणं राईसर जावसत्थवाहाणं | बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य मन्तेसु य कुडुम्बेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य निच्छएस य ववहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिजे सयस्सवि य णं कुडुम्बरस मेढी पमाणं आहारे आलम्बणं चक्खू मेढीभूए जाव सव्वकज्जवट्टावण्यावि होत्या, तस्स णं आणन्दस्स गाहावइस्स सिवानन्दा नामं भारिया होत्था, अहीण जाव सुरूवा, आणन्दस्स गाहावइस्स इट्ठा० आणन्देणं गाहावइणा सद्धिं अणुरता अविरत्ता इट्ठा सद्द जाव पञ्चविहे माणुस्सए कामभोए पञ्चणुभवमाणी विहरड़, तस्स णं वाणियगामस्स बहिया उत्तपुरच्छिमे दिसीभाए ए(प्र०त ) त्थ णं कोल्लाए नामं सन्निवेसे होत्था रिद्धत्थिमिय जाव पासादीए०, तत्थ णं कोल्लाए सन्निवेसे आणन्दस्स गाहावइस्स बहुए मित्तंनाइनियगसयणसम्बन्धिपरिजणे परिवसई अड्डे जाव अपरिभूए, तेणं कालेणं समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए, परिसा निग्गया, कूणिए राया जहा तहा जियसत्तू निग्गच्छइ ता जाव पज्जुवासइ, नए णं से आणन्दे गाहावई इमी से कहाए लद्धट्टे समाणे०, एवं खलु समणे धा जाव विहरइ, तं महाफलं जाव गच्छामि णं जाव पज्जुवासामि एवं सम्पेहेइ ता पहाए सुद्धप्यावेसाई जाव अप्पमहग्घाभरणालङ्कियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ ना सकोरंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मणुस्सवग्गुरापरिक्खित्ते पायविहार चारेणं वाणियगामं नयरं, मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ त्ता जेणामेव दूइपलासे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ त्ता तिक्खुतो आयाहिणं पयाहिणं करेइ त्ता वन्दइ नमसइ जाव पज्जुवासई । ३ । तए णं समणे भगवं महावीरे आणन्दस्स गाहावइस्स ॥ उपासक दशांगं सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021009
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages65
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size7 MB
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