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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir एगवत्रदुवनतिवत्रा जहेव अपएसियस्स. जइ पंचक्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य सिय कालगे य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुकिलगाय एवं परिवाडीए एकतीसं भंगा भाणियव्या, एवं एक्कगदयगतियगचउक्गपंचगसंजोएहिं दो छत्तीसा भंगसया भवंति, गंधा जहा अट्ठपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वत्रा, फासा जहा चउपएसियस्स, दसपएसिए णं भंते! पुच्छा, गोयमा! सिय एगवने जहा नवपएसिए जाव सिय चउफासे ५०, जइ एगवत्रे० एगवत्रदुवत्रतिवत्रचउवत्रा जहेव नवपएसियस्स, पंचक्त्रेऽवि तहेव नवरं बत्तीसतिमो भंगो भन्नति, एवमेते एक्कादयगतियगच्उक्चगपंचगसंजोएसु दोनि सत्ततीसा भंगसया भवंति, गंधा जहा नवपएसियस्स, रसा जहा एयस्स चेव वना, फासा जहा चउथ्यएसियस्स, जहा दसपएसिओ एवं संखेजपएसिओऽवि, एवं असंखेजपएसिओऽवि, सुहमपरिणओऽवि अणंतपएसिओऽवि एवं चेव १६६९। बायरपरिणए णं भंते! अणंतपएसिए खंधे कतिवन्ने एवं जहा अट्ठारसमसए जाव सिय अटफासे पं०, वनगंधरसा जहा दसपएसियस्स, जइ चउफासे सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे स्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे सव्वे कक्खडे सब्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे पिणे सव्वे लुक्खे सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सब्वे सीए सव्वे लुक्खे सव्वे लुक्खे सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे सव्वे म3ए सब्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे सव्वे भ3ए सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे सव्वे म3ए सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे सव्वे म3ए | ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित | For Private And Personal
SR No.021007
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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