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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir पडिसणेतिना जेणेव साइंसाइंगिहाई तेणेव उवागच्छन्ति त्ता विपुलं असण जाव उवक्खडावेति त्ता मित्तनाइ जाव तस्सेव मित्तनाइ जाव पुरओ जेट्टयुत्ते कुडुंबे ठावेंति ना तं भित्तनाइ जाव जेट्टपुत्ते य आपुच्छंति त्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरूहंति ना भित्तणातिजावपरिजणेणं जेट्टपुत्तेहिं य समणुगम्भमाणमन्गा सव्वड्डीए जाव रवेणं अकालपरिहीणं चेव कत्तियस्स सेट्ठिस्स अंतियं पाउब्भवंति, तए णं से कत्तिए सेट्ठी विपुलं असणं जहा गंगदत्तो जाव भित्तातिजावपरिजणेणं जेट्टपुत्तेणं गभट्ठसहस्सेण य|| समणुगम्ममाणमग्गे सव्वढिए जाव रवेणं हथिणापुर नगरं मझमझेणं जहा गंगदत्तो जाव आलित्ते णं भंते! लोए पलिते णं भंते लोए आलित्तपलित्ते णं भंते! लोए जाव अणुगामियत्ताए भविस्सति तं इच्छामिणं भंते! णेगमट्ठसहस्सेण सद्धिं सयमेव पव्वावियं जाव धम्ममाइक्खियं, तए णं मुणिसुव्वए अरहा कत्तियं सेटिंगमट्ठसहस्सेणं सद्धिं सयमेव पव्वावेति जाव धम्ममाइक्खइ, एवं देवाणुप्पिया! गंतव्वं एवं चिट्ठियव्वं जाव संजभियव्वं, तए णं से कत्तिए सेट्ठी नेगमट्टसहस्सेण सद्धिं मणिसुव्वयस्स अरहओ इमं एयारूवं धम्मियं उवदेसं सम्भं पडिवजइ तमाणाए तहा गच्छति जाव संजमेति, तए णं से कत्तिए सेट्ठीणेगमट्ठसहस्सेणं सद्धिं अणगारे जाए ईरियासमिए जाव गुत्तबंभयारी, तए णं से कत्तिए अणगारे मुणिसुव्वयस्स अहओ तहारुवाणं थेराणं अंतियं सामाइयमाझ्याई चोदस पुव्वाई अहिजइ त्ता बहूहिं चउत्थछट्ठम् जाव अप्पाणं भावमाणे बहुपडिपुन्नाई दुवालस वासाइं सामनपरियागं पाउणइ त्ता मासियाए संलेएणाए अत्ताणं झोसेइ त्ता सढि भत्ताई अणसाणाए छेदेति त्ता आलोइय जाव कालं किच्चा सोहम्मे कम्ये सोहम्मवडेंसए विभाणे ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | | पू. सागरजी म. संशोधित For Privale And Personal
SR No.021007
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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