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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir तिदिसिं, सिय चउदिसिं सिय पंचदिसिं लोगस्सणं भंते ! एगंमि आगासपएसे कतिदिसिं पोग्गला छिज्जति?, एवं चेव, एवं उवचिजति| एवं अवचिजति । ७२३। जीवे णं भंते! जाई दव्वाई ओरालियसरीरत्ताए गेण्हेइ ताई किं ठियाई गेण्हइ अठियाई गेण्हइ?, गोयमा! ठियाइपि गेण्हइ अठियाइपि गेण्हइ, ताई भंते ! किं दव्वओ गेण्हइ खेत्तओ गेण्हइ कालओ गेण्हइ भावओ गेण्हइ? गोयमा! दव्वओऽवि खेत्तओऽवि कालओऽवि भावओऽवि गेण्हइ, ताई दव्वओ अणंतपएसियाई दव्वाई खेत्तओ असंखेजपएसोगाढाई एवं जहा पत्रवणाए पढमे आहारुद्देसए जाव निव्वाधाएणं छद्दिसिं वाघायं पडुच्च सिय तिदिसिं सिय चउदिसिं सिय पंचदिसिं, जीवेणं भंते! जाई दव्वाइ वेउब्वियसरीरत्ताए गेण्हइ ताई किं ठियाइं० एवं चेव नवरं नियमं छद्दिसिं, एवं आहारगसरीरत्ताएऽवि, जीवे णं भंते! जाई दव्वाई तेयगसरीरत्ताए गिण्हइ पुच्छी, गोयमा! ठियाई गेण्हइ नो अठियाई गेण्हइ सेसं जहा ओरालियसरीरस्स, कम्मगसरीरे एवं चेव जाव भावओऽवि गिण्हइ, जाई दव्वाई दव्वओ गे० ताई किं एगपएसियाई गेण्हइ दुपएसियाई गेण्हइ?, एवं जहा भासापदे जाव अणुपुब्धि गेण्हइ नो अणाणु०, ताई भंते! कतिदिसिं गेण्हइ?, गोयमा! निव्वाधाएणं जहा ओरालियस्स, जीवेणं भंते! जाई दव्वाइं सोइंदियत्ताए गे० जहा वेउब्वियसरीरं एवं जाव जिभिदियत्ताए फासिंदियत्ताए जहा ओरालियसरीरं मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीरं नवरं नियम छहिसिं एवं वइजोगत्ताएऽवि कायजोगत्ताएऽवि जहा ओरालियसरीरस्स, जीवे णं भंते! जाई दव्वाई आणापाणत्ताए गे० जहेव ओरालियसरीरत्ताए जाव सिय पंचदिसिं ।सेवं भंते! २ त्ति केई चउवीसदंडएणं एयाणि पदाणि भत्रंति जस्स जंअस्थि ।७२४ ॥श० | ॥श्रीभगवती सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021007
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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