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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | भंते ! किं सासए असासए ?, गोयमा ! सिय सासए सिय असासए, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ सिय सासए सिय असासए ?, गोयमा ! दव्वट्टयाए सास वन्नपज्जवेहिं जाव फासयज्जवेहिं असासए, से तेणट्टेणं जाव सिय सासए सिय असासए । ५११ । परमाणुपोग्गले णं भंते! किं चरमे अचरमे ?, गोयमा! दव्वादेसेणं नो चरिमे अचरिमे खेत्तादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे कालादेसेणं सिय चरिमे |सिय अचरिमे भावादेसेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे । ५१२ । कइविहे णं भंते ! परिणामे पं० ?, गोयमा ! दुविहे परिणामे पं० तं० - जीवपरिणामे य अजीवपरिणामे य, एवं परिणामपयं निरवसेसं भाणियव्वं । सेवं भंते ! २ जाव विहरति । ५१३ ॥ ० १४३० ४ ॥ (नेरइयअगणिमज्झे दस ठाणा तिरिय पोग्गले देवे। पव्वयभित्ती उल्लंघणा य पल्लंघणा चेव ॥ १ ॥ पा० ) नेरइए णं भंते ! | अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा ?, गोयमा ! अत्थेगतिए वीड़वएज्जा अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा, से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ अत्थेगइए वीड़वएज्जा अत्थेगइए नो वीइवएज्जा ?, गोयमा ! नेरइया दुविहा पं० तं० - विग्गह गतिसमावन्नगा य अविग्गहगतिसमावन्नगा य, तत्थ णं जे से विग्गहगतिसमावन्नए नेरतिए से णं अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा, से णं तत्थ झियाएज्जा ?, णो तिणट्टे समट्टे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ, तत्थ णं जे से अविग्गहगइसमावन्नए नेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं णो वीइवएज्जा, से | तेणट्टेणं जाव नो वीइवएज्जा, असुरकुमारे णं भंते ! अगणिकायस्स पुच्छा, गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा, से केणद्वेणं जाव नो वीड़वएज्जा ?, गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पं० तं० विग्गहगइसमावन्नगा य अविग्गहगइसमावन्नगा य, तत्थ णं ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ १९० पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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