SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दोनि सिय तित्रि,एवं अहम्भत्थिकायस्सवि, एवं आगासस्थिकायस्सवि, सेसंजहेव दोण्हं, एवं एकेको वढियवो पएसो आइल्लएहिं|| तिहिं अस्थिकाएहिं, सेसं जहेव दोण्हं जाव दसण्हं सिय एको सिय दोन्नि सिय तिन्नि जाव सिय दस, संखेजाणं०?, सिय एक्को सिय दोनि जाव सिय दस सिय संखेजा, असंखेजाणं सिय एक्को जाव सिय संखेजा सिथ असंखेजा, जहा असंखेजा एवं अणंतावि, जत्थ ण भंते ! एगे अद्धासमए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थि?, एक्को, केवतिया अहम्मत्थि?, एक्को, केवतिया आगासस्थि०?, एक्को, केवइया जीवत्थि०?, अणंता, एवं जाव अद्धासमया, जत्थ्णं भंते ! धम्मस्थिकाए ओगाढे तत्थ् केवतिया धम्मत्थिकायप० ओगाढा?, नशि एकोऽवि, केवतिया अहम्मत्थिकाय०, असंखेजा, केवतिया आगास०?, असंखेज्ना, केवतिया जीवस्थिकाय?, अणंता, एवं जाव अद्धासमया, जत्थ्ण भंते! अहम्मत्थिकाए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मस्थिकाय?, असंखेजा, केवतिया अहम्मस्थि०?, नस्थि एकोऽवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स, एवं सब्ये सहाणे नत्थि एकोऽवि भाणियवं परहाणे आदिल्लगा तिन्नि असंखेजा भाणियव्वा, पच्छिल्लगा तिनि अणंता भाणियव्वा जाव अद्धासमओत्ति, जाव केवतिया अद्धासमया ओगाढा ?, नत्थि एक्कोऽवि । ४८२। जत्थ णं भंते ! एगे पुढवीकाइए ओगाढे तत्थ णं केवतिया पुढवीकाइया ओगाढा?, असंखेजा, केवतिया आउकाइया ओगाढा?, असंखेजा, केवइया तेउकाइया ओगाढा ?, असंखेजा, केवइया वाउ० ओगाढा?, असंखेजा, केवतिया वणस्सइकाइया ओगाढा?, अणंता." जत्थणंभंते ! एगे आउकाइए ओगाढे तत्थ्णं केवतिया पुढवी०?, असंखेजा, केवतिया आउ०?, असंखेज्जा, एवं जहेवपुढवीकाइयाण ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy