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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kallassagarsuri Gyanmandir | चउवीसं तित्थकरा भविस्संति, तं० - सुमंगले अ सिद्धत्थे, णिव्वाणे य महाजसे । धम्मज्झए य अरहा, आगमिस्साण होक्खई ॥ १६२॥ सिरिचंदे पुप्फकेऊ, महाचंदे य केवली । सुयसागरे य अरहा, आगमिस्साण होक्खई ॥ १६३ ॥ सिद्धत्त्थे पुण्णघोसे य, महाघोसे य केवली । सच्चसेणे य अरहा, आगमिस्साण होक्खई ॥ १६४ ॥ सूरसेणे य अरहा, महासेणे य केवली । सव्वाणंदे य अरहा, देवउत्ते य होक्खई ॥ १६५ ॥ सुपासे सुव्वए अरहा, अरहे य सुकोसले । अरहा अणंतविजए, आगमिस्सेण होक्खई ॥ १६६ ॥ विमले उत्तरे | अरहा, अरहा य महाबले । देवाणंदे य अरहा, आगमिस्रण होक्खड़ ॥ १६७ ॥ एए वृत्ता चउव्वीसं, एरवयम्मि केवली | आगमिस्साण होक्खंति, धम्मतित्थस्स देसगा ॥ १६८ ॥ बारस चक्कवट्टिणो भविस्संति बारस चक्कवट्टिपियरो भविस्संति बारस० मायरो भविस्संति बारस० इत्थीरयणा भविस्संति, नव बलदेववासुदेवपियरो भविस्संति णव वासुदेवमायरो भविस्संति णव बलदेवमायरो भविस्संति णव दसारमंडला भविस्संति उत्तमपुरिसा मज्झिमपुरिसा पहाणपुरिसा जाव दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति णव पडिसत्तू भविस्संति, नव पुव्वभवणामधेज्जा णव धम्मायरिया णव णियाणभूमीओ णव णियाणकारणा, आयाए एवए आगमिस्साए भाणियव्वा, एवं दोसुवि आगमिस्साए भाणियव्वा । १६९ । इच्चेयं एवमाहिजंति तं. कुलगरवंसेइ य एवं तित्थगरवंसेइ य चक्कवट्टिवंसेइ य गणधर वंसेड़ य इसिवंसेड़ य जइवंसेइ य मुणिवंसेइ य सुएइ वा सुअंगेइ वा सुयसमासेइ वा सुयखंधेड़ वा समवाएड वा संखेइ वा समवायमंगमक्खायं अज्झयणत्तिबेमि । १७० । इति श्री समवायाङ्गाम् सूत्रं संपूर्ण ॥ प्रभु महावीर स्वामीनीपट्ट परंपरानुसार कोटीगण ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्रं ॥ ९९ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021004
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages113
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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