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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जावससंताणगानो जत्थ बहवे जाव उवागमिस्संति, सेवं नच्चा नोगामाणुगामंदूइजिजा० अह पुणेवंजाणिज्जा चत्तारि मासा० कप्पे || परिवुसिए, अंतरा से मग्गे अपंडा जाव ससंताणगा बहवे जत्थ समण उवागमिस्संति, सेवं नच्चा तओ संजयामेव दूइजिज्जिा ३३६॥ से भिक्खू वा० गामाणुगामं दूइज्जमाणे पुरओ जुगमायाए (५० जुगमायं ) पेहमाणे दठूण तसे पाणे उद्धटु पादं रीइज्जा साहटु पायं रीइज्जा वितिसिधं वा कट्ठ पायं रीइज्जा, सइ परक्कमे संजयामेव परिक्कमिजा, नो उज्जुयं गच्छिज्जा तओ संजयामेव गामाणुगाम दूइजिजा ॥से भिक्खू वा० गामा० दूइज्जमाणे अंतरा से पाणाणिवा बी० हरि० उदए वा मट्टिा वा अविद्धत्थे सइ परक्कमे जाव नो उज्जुयंगच्छिज्जा, तओ संजया, गामा, दूइजिजा ।३३७ । से भिक्खू वा० गामा० दूईज माणे अंतरा से विरूवरूवाणि पच्चंतिगाणि दस्सुगाययणाणि मिलक्खूणि अणायरियाणि दुस्सनप्याणि दुप्पत्रवणिजाणि अकालपडिबोहीणि अकालपरिभोईणि सइ ला विहाराए संथरमाणेहिं जणवएहिं नो विहारवडियाए (५० वत्तियाए ) पवजिजा गमणाए, केवली बूया आयाणमेयं, ते णंबाला अयं तेणे अयं उवचरा, अयं ततो आगएत्तिक१ तं भिक्खू अक्कोसिज वा जाव उद्दविज वा वत्थं ५० कं० पाय० अच्छिंदिज वा भिंदिन वा अवहरिज वा परिविज वा० अह भिक्खूणं पु० जंतहप्पगाराई विरू० पंच्चतियाणि दस्सुगा० जाव विहारवत्तियाए नो पवजिज वा गमणाए, तओ संजया० गा० दू० १३३८ से भिक्खू दुईजमाणे अंतरा से अआयाणि वा गणरायाणि वा जुवरायाणि वा दोरज्जाणिवा वेरजाणिवा विरुद्धरजाणि वा सइ ला विहाराए संथ० जण नो विहारवडियाए० केवली बूया आयाणमेयं, ते णं बाला तं चेव | ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021002
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size12 MB
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