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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | आयाणसोयमइवायसोयं जोगं च सव्वसो गच्चा ॥ ५७ ॥ अइवत्तियं अणाउट्टि सयमन्नेसिं अकरणयाए । जस्सित्थिओ परित्राया | सव्वकम्मावहाउ से अदक्खु ॥ ५८ ॥ अहाकडं न से सेवे सव्वसो कम्म (प्र० कंमुणा) अदक्खू । जं किंचि पावगं भगवं तं अकुव्वं वियडं भुज्जित्था ॥ ५९ ॥ णो सेवइ य परवत्थं परपाएवी से भुञ्जित्था । परिवज्जियाण ओमामं गच्छइ संखडिं असरणयाए ॥ ६० ॥ मायण्णे असणपाणस्स नाणुगिद्धे रसेसु अपडित्रे । अच्छिंपि नो पमज्जिजा नोवि य कंड्रयए मुणी गायं ॥ ६१ ॥ अप्पं तिरियं पेहाए अप्पिं पिटुओ पेहाए । अध्यं बुइए पडिभाणी पंथपेहि चरे जयमाणे ॥ ६२ ॥ सिसिरंसि अद्धपडिवत्रे तं वोसिज वत्थमणगारे । पसारितु बाहुं परक्कमे नो अवलम्बियाण कंथंभि ॥ ६३ ॥ एस विही अणुक्कन्तो माहणेण मईमया । बहुसो अपडित्रेण भगवया एवं रियं ॥ ६४ ॥ तिबेभि ॥ अ० ९३० १ ॥ चरियासणाई सिज्जाओ एगइयाओ जाओओ बुझ्याओ । आइक्ख ताई सयणासणाई जाई सेवित्था से महावीरे ॥ ६५ ॥ आवेसणसभापवासु पणियसालासु एगया वासो । अदुवा पलियठाणेसु पलालपुज्जेसु एगया वासो ॥ ६६ ॥ आगन्तारे आरमागारे तह य नगरे व एगया वासो | सुसाणे सुण्णगारे वा रुक्खमूले व एगया वासो ॥६७॥ एएहिं (प्र० सु) मुणी सयणेहिं (प्र० सु) समणे आसि पतेरस वासे । राई दिवंपि जयमाणे अपभत्ते समाहिए झाइ ॥ ६८ ॥ णिद्दपि नो पगामाए सेवइ भगवं उट्ठाए । जग्गावइ य अप्पाणं इसिं साई य (प्र० सइआसि) अपडित्रे ॥ ६९ ॥ संबुज्झमाणे पुणरवि आसिंसु भगवं उट्ठाए । निक्खम्म एगया राओ बहि चंकमिया मुहुत्तागं ॥ श्रीआचाराङ्ग सूत्रं ॥ ४४ For Private And Personal Use Only
SR No.021002
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size12 MB
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