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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २२० जीवगुणप्रमाणनिरूपणम् गुणप्रमाणम् ? ज्ञानगुणप्रमाणं चतुर्विधं प्रज्ञप्तं, तद्यथा-प्रत्यक्षम् , अनुमानम् , औपम्यम् , आगमः ! अथ किं तत् प्रत्यक्ष ? प्रत्यक्षं द्विविधं प्रज्ञप्तं, तद्यथाइन्द्रियप्रत्यक्षं च नो इन्द्रियप्रत्यक्षं च । अथ किं तत् इन्द्रियप्रत्यक्षम् ? इन्द्रियम अब सूत्रकार जीवगुणप्रमाण का निरूपण करते हैं'से किं तं जीवगुणप्पमाणे' इत्यादि । शब्दार्थ-(से किं तं जीवगुणप्पमाणे ?) हे भदन्त ! जीवगुणप्रमाण क्या है ? उत्तर--(जीवगुणप्षमाणे तिविहे पण्णत्ते) जीवगुणप्रमाण तीन प्रकार का कहो गया है-(नं जहा) जैसे (णाणगुणप्पमाणे दंसणगुणप्पमाणे, चरित्तगुणप्यारागे) ज्ञानगुणप्रमाण, दर्शनगुणप्रमाण चारित्रगुण. प्रमाण (से मितं माणगुणप्पमाणे) हे भदन्त ! ज्ञानगुणप्रमाण का क्या स्वरूप है ? (णाणगुणपरमाणे चउबिहे पण्णत्ते) ज्ञानगुणप्रमाण चार प्रकार का कहा गया है । (तं जहा) उसके वे प्रकार ये हैं-(पच्चक्खे, अणुभाणे ओवम्मे, आगमे) प्रत्यक्ष अनुमान उपमान, और आगम (सेरितं पच्चक्खे ?) हे भदन्त ! प्रत्यक्ष का क्या स्वरूप हैं ? (पच्चरखे दुविहे पत्ते) वह प्रत्यक्ष दो प्रकार का कहा गया हैं। (तं जहा) जैसे-(इंदियपच्चक्खे य णोइंदियपच्चक्खे य) एक इन्द्रिय હવે સૂત્રકાર જીવ ગુણપ્રમાણનું નિરૂપણ કરે છે. 'से कि त जीवगुणामाणे' ध्या! शहाथ-(से किं तं जीवगुणप्पमाणे १) ! ५ शुष प्रमाण शु? उत्तर--(जीवगुणप्पमाणे तिविहे पण्णत्ते) ७५ प्रभाय ३] प्रा२नु अपामा मयु छ (तं जहा) भ3 (णाण गुणप्पमाणे दंसणगुणप्पमाणे, चरित्तगुणप्पमाणे) ज्ञान गुख्य प्रमाण, ४शन गुरु प्रभाए यात्रिशु प्रभा] (से किं तं णाणगुणप्पम णे) 3 मत! ज्ञानगुन्य प्रभानु २१३५ . छ ? (णाणगुणप्पमाणे चउबिहे पण्णत्ते) ज्ञानगुण प्रमाण यार प्रहार डेवामा मायु छे. (तं जहा) तेना । मा प्रमाणे छ. ( पच्चक्खे, अणुमाणे, ओवम्मे, आगमे) प्रत्यक्ष अनुमान, ७५मान सने मागम (से किं तं पञ्चक्खे) 3 महत! प्रत्यक्ष १२३५ _ छ ? (पच्चरखे दुविहे पण्णत्ते) ते प्रत्यक्ष में प्रा२नु ४ामा युछे. (तं जहा) है (इंदिय पच्चक्खे य णो इंदियपच्चक्खे य) मेन्द्रिय प्रत्यक्ष भने अन्य नन्द्रिय प्रत्यक्ष अ. ६२ For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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