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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org પ્રંટ अनुयोगद्वारसूत्रे तिरिक्खजोणियाणवि ओरालियसरीरा एवं चेत्र भाणियवा । पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते! केवइया वेउल्वियसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! वेउद्द्वियसरीरा दुत्रिहा पण्णत्ता, तं जहा बद्धेल्लया मुकेलाय । तत्थ णं जे ते बद्धेल्लया ते णं असंखिज्जा असंखिज्जाहिं उस्सप्पिणीओसप्पिणीहिं अवहीरंति कालओ । खेतओ असंखिज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखिज्जइभागे । तासि णं सेढीणं विक्खभसूई अंगुलपढमवग्गमूलस्स असंखिइभागे । मुक्केल्लया जहा ओहिया ओरालिया तहा भाणियद्वा । आहारयसरीरा जहा बेइंदियाणं, तेयगकम्मयसरीरा जहा ओरालिया ॥सू० २१५॥ छाया - द्वीन्द्रियाणां भदन्त ! कियन्ति औदारिकशरीराणि प्रज्ञप्तानि ? गौतम ! औदारिकशरीराणि द्विविधानि मज्ञप्तानि तद्यथा- बद्धानि च मुक्तानि च । तत्र खजु यानि तानि बद्धानि तानि खलु असंख्येयानि, असंख्येयाभिरु , Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अब सूत्रकार मीन्द्रियादि जीवों के औदारिक शरीरों की मरूपणा करते हैं- 'इंदियाणं भंते! केवइया ओरालियसरीरा पण्णत्ता' इत्यादि । शब्दार्थः -- (भंते ) हे भदन्त ! (वेइंदिपाणं) द्वीन्द्रिय जीवों के (ओरा foreiरा) औदारिक शरीर (केवइया पण्णत्ता) कितने कहे हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (ओरालिपसरीरा दुबिहा पण्णत्ता) औदारिक शरीर दो प्रकार के कहे गये हैं (तं जहा) वे इस प्रकार से हैं- ( बद्धे હવે સૂત્રકાર દ્વીન્દ્રિયાદિ જીવાના ઔદારિકશરીરોની પ્રરૂપણા કરે છે << बेइंदियाणं भंते! केवइया ओरालियम्ररीरा पण्णत्ता इत्यादिavgl9° —(Hà !) È uɛ'a! (àgfèuñ) &lfrşu oyalıcılı (3772lfsa खरीरा) मोहारि शरीरो (केवइया पण्णत्ता) डेटा उडेवामां आव्यां छे ? (ओरालि यसरी दुविहा पण्णत्ता) मोहारि शरीरेश मे अहारना उडेवामां यां छे. (तंजा) ते या प्रमाणे छे. (बद्वेल्लया य मुक्केल्ल्या य) मे मद्ध For Private And Personal Use Only 32
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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