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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir : अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०७ असुरकुमारादीनामायुः स्थिति निरूपणम् ३०३ द्विपल्योपमानि । नागकुमारीणां भदन्त ! कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता ?, गौतम ! जघन्येन दशवर्षसहस्राणि उत्कर्षेण देशानं पल्योपमम् । एवं यथा नागकुमाराणां देवानां देवीनां च तथा यावद् स्तनितकुमाराणां देवानां देवीनां च भणितव्यम् । पृथिवीकायिकानां भदन्त । कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता ? देवाणं केवइयं काळं ठिई पण्णत्ता ? ) हे भदन्त ! नागकुमार देवों की कितनी स्थिति कही गई है ? उत्तरः -- (गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं देख णाई दुणि भिमाई) हे गौतम जघन्य से दश हजार वर्ष की और उत्कृष्ट से कुछ कम दो पल्योपम की । ( नागकुमारीणं भंते! केवइयं काळं ठिई पण्णत्ता १) हे भदन्त ! नागकुमार को देवियों की कितनी स्थिति कही गई है ? उत्तर:- (गोयमा ! जहन्नेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं देणं पलिओदनं) हे गौतम! जघन्य से दश हजार वर्ष की और उत्कृष्ट से कुछ कम एक पल्प की कही गई है ( एवं जहा नागकुमाराणं, देवाणं देवीण य ता जाव धणियकुमाराणं देवाणं देवीण य भाणियव्यं) जैसी नागकुमार देवों और उनकी देवियों की स्थिति कही है उसी प्रकार से कालं ठिई पण्णत्ता १) डे महत ! नागकुमार हेवानी स्थिति टती उडेवामां भावी छे ? उत्तर- (गोयमा ! जहन्नेण ं दसवास सहरसाई उक्कोसेण देसूणाई दुविण पलिओ माइं) हे गौतम! धन्यथी दृश डेलर वर्षानी भने उत्ष्टथी ४४ ४भ मे पढ्यो भेटसी वामां भावी छे (नागकुमारीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) हे महंत ! नागडुभारनी देवीयोनी स्थिति टसी કહેવામાં આવી છે? उत्तर- (गोयमा ! जहन्ने दसवास सहरसाईं उक्कोसेण देसूण' पलिओवमं) હે ગૌતમ ! જઘન્યથી દશ હજાર વર્ષની અને ઉત્કૃષ્ટથી કઇક કમ એક પલ્ય भेटली हेवामां भावी छे. (एवं जहा नागकुमाराण देवाण' देवीण य तहा जाव थणियकुमाराण देवाणं देवीण य भाणियव्वं) ने प्रभाये नागार हेवानी भने તેમની દેવીઓની સ્થિતિ કહેવામાં આવી છે, તે પ્રમાણે જ સ્તનિતકુમાર सुधीना हेवे। अने तेमनी देवीयोनी स्थिति लखुवी लेहये. (पुढवीकाइ For Private And Personal Use Only
SR No.020967
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages928
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size21 MB
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