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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २१ कुप्रावनिक भावावश्यक का निरूपण १६८-१७० २२ लोकोत्तरीय भावावश्यक का निरूपण १७१-१७७ १३ भावावश्यक के पर्याय का निरूपण १७८-१८२ २४ नामश्रुतका निरूपण १८३-१८४ २५ आगम से द्रव्य श्रुतका निरूपण १८४-१८६ २६ नो आगम से द्रव्यावश्यक का निरूपण १८६-१८७ २७ ज्ञायक शरीर द्रव्यश्रुतका निरूपण १८७-१८८ २८ भव्यशरीर द्रव्यश्रुतका निरूपण १८९-१९० २९ जायक शरीर भव्यशरीर व्यतिरिक्त द्रव्यश्रुतकानिरूपण १९०-१९९ ३० आगमसे भाषश्रुतका निरूपण २००-२०१ ३१ लौकिक नो आगम से भावश्रुतका निरूपण २०२-२०५ ३२ लोकोत्तरीय नो भागमसे भावश्रुतका निरूपण २०६-२१० ३३ भावश्रुत के पर्यायों का निरूपण २१०-२१२ ३४ स्कन्धाधिकार का निरूपण २१३-२१५ ३५ द्रव्यस्कन्ध का निरूपण २१६-२१८ ३६ द्रव्यस्कन्ध के सचित्तरूप प्रथम भेद का निरूपण २१९-२२१ ३७ अचित्त द्रव्यस्कन्ध का निरूपण २२२-२२३ ३८ मिश्र द्रव्यस्कन्ध का निरूपण २२४-२२७ ३९ अकृत्स्नस्कन्ध का निरूपण २२८-२३० ४. अनेक द्रव्यस्कन्ध का निरूपण २३१-२३४ ४१ आगमसे भावस्कन्ध का निरूपण २३५४२ नो आगमसे भावस्कन्ध का निरूपण २३६-२३८ ४३ स्कन्धों के पर्यायों का निरूपण २३९-२४१ ४४ आवश्यक के छ अध्ययनों का निरूपण २४१-२४५ ४५ आवश्यक व्याख्यात हो चुके और आगे पाख्यात होने वाले विषय का निरूपण २४५-२५१ ४६ लौकिक उपक्रम का निरूपण २५१-२५३ For Private and Personal Use Only
SR No.020966
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages864
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size25 MB
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