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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रपोगचन्द्रिका टीका सूत्र ३४ आगमतो द्रव्य श्रुतनिरूपणम् टीका-'से कि ते दव्वयं' इत्यादि। व्याख्या प्राग्वत् ॥ सू० ३३॥ -आगमतो द्रव्यभुतं निरूपयति मूलम्-से कि तं आगमओ दडवसुयं ? आगमओ दठवसुयं जस्सणं सुएत्ति पयं सिक्खियं ठियं जिय जाव णो अणुप्पेहाए का? अणुवओगो दवमिति कटु, नेगमस्स गं एगो अणुवउत्तो आगमओ एगं दव्वसुयं जाव कम्हा ? जइ जाणए अणुवउत्ते न भवइ । से तं आगमओ दव्वसुय ।सू० ३४॥ . ... छाया-अथ किं तदागमतो द्रव्यश्रुतम्, आगमतो द्रव्यभुतं-यस्य खलु भतेति पदं शिक्षितं स्थितं जितं यावत् नो अनुप्रेक्षया, कस्मात् ? अनुपयोगो शब्दार्थ-(से कि त) हे भदन्त ! द्रव्यश्रुत का क्या स्वरूप है ? उत्तर:-(दध्वसुयं दुविहं पण्णत्त) द्रव्यश्रुत दो प्रकारका कहा गया है। (तंजहा) उसके वे प्रकार ये हैं-(आगमओ य नोआगमओ य) १ आगम को अश्रित कर के द्रव्यश्रुत होता है और दूसरा नोआगम को आश्रित करके द्राश्रुत होता है । इसकी व्याख्या पहिले की तरह जाननी चाहिये । ॥सूत्र ३३॥ अब सूत्रकार आगम की अपेक्षा कर के द्रव्यश्रुतका निरूपण करते हैं• “से किं तं आगमओ दव्वसुयं" इत्यादि।॥ मुत्र ३४ ॥ शब्दार्थ:-से किं तं) शिष्य पूछता है कि हे भदन्त । आगम का आश्रय करके जो द्रव्यश्रुत होता है उसका क्या स्वरूप है ? હવે સૂત્રકાર વ્યકૃતના સ્વરૂપનું નિરૂપણ કરે છે"से किं तं दब्वसुयं ?" त्याह हाथ-(से किं तं दरसुयं?) सावन् ! द्रव्यश्रुत -१३५ ४ छ? . उत्तर-(दव्वसुयं दुरिहं पण्णत्त) द्रव्यश्रुतना मे १२ ४॥ छ. (तंजहा) ते मे । नीय प्रमाणे छ (आगमओ य नोआगमओय) (१) आमने माश्रित કરીને દ્રવ્યથત હોય છે, અને (૨) આગમને આશ્રિત કરીને દ્રવ્યશ્રત હોય છે. તેની વ્યાખ્યા આવશ્યક સૂત્રમાં આગળ કહ્યા પ્રમાણે સમજવી. | સૂ૦ ૩૩ - હવે સત્રકાર આગમને આશ્રિત જે વ્યથત છે તેનું નીચે પ્રમાણે નિરૂપણ ४३ -"से कि त आगमओ दव्वसुय" त्या Avat-(से कि त आगमओ दब्वसुय?) शिष्य गुरुने मे पूछ છે કે હે ભગવન્! આગમને આશ્રય કરીને જે દ્રવ્યશ્રત હોય છે, તે દ્રવ્યથુતનું કેવું વરૂપ છે? For Private and Personal Use Only
SR No.020966
Book TitleAnuyogdwar Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages864
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_anuyogdwar
File Size25 MB
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