SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 41
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अंतगडदसा अंगे वग्गे वग्गे कमेण जाणाहिं । दस दस तेरस दस दस सोलस तेरस दसुद्देसा अहऽणुत्तरोववाइयदसा उ नामेण नवमयं अंगं । एगो य सुक्खंधो तिण्णि उवग्गा मुणेयव्वा उद्देसगाण संखं वग्गे वग्गे य एत्थ वोच्छामि । दस तेरस दस चेव य कमसो तीसुं पि वग्गेसुं चोद्दस उवासगदसा अंतगडदसा दुवालसेहिं तु । सत्तहिं दिणेहिं जंति उ अणुत्तरोववाइयदसाओ वग्गस्साइल्लाणं उद्देसाणं तहिं तिमिल्लाणं । उद्देस - समुद्देसे तहा अणुण्णं करिज्जासु दिवसेण जाइ वग्गो उस्सग्गा तत्थ होंति नव चेव । छप्पुव्वहे भणिया अवरण्हे नियमओ तिण्णि पण्हावागरणंगं दसमं एगो य होइ सुयखंधो । तहियं दस अज्झयणा एगसरा जंति पइदिवसं चोद्दसहिं वासरेहिं पण्हावागरणमंगमिह जाइ । आउत्तवाणएणं तं वहियव्वं पयत्तेणं Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एक्कारसमं अंगं विवागसुयमित्थ दो सुयवखंधा | दोसुं पिय एगसरा अज्झयणा दस दस हवंति कालियचउपण्णत्ती आउत्ताणेण सूरपण्णत्ती । सेसा संघट्टेणं ति-तिआयामेहिं चउरो वि निश्यावलियभिहाणो सुयखंधो तत्थ पंचवग्गाओ। इक्किम्मिय वग्गे उद्देसा दसदसंतिमे दु जुया चवीसाइ दिहिं इक्कारसमं विवांगसुयमंगं । वच्चइ सत्तदिहिं निरयावलियासुयक्खंधो ३२ For Private And Personal Use Only ॥ ४८ ॥ ॥ ४९ ॥ 1140 11 ॥ ५१ ॥ ॥ ५२ ॥ ॥ ५३ ॥ ॥ ५४ ॥ ॥ ५५ ॥ ॥ ५६ ॥ ॥ ५७ ॥ ॥ ५८ ॥ ॥ ५९ ॥
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy