SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥१३॥ ॥ १४॥ ॥ १५ ॥ ॥ १६॥ ॥ १७ ॥ आयारो पढमंगं सुयखंधा तेसु दोण्णि जहसंखं । अड-सोलस अज्झयणा इत्तो उद्देसए वोच्छं सत्तय छ च्चउ चउरो छ पंच अटेव होंति चउरो य । इक्कारस ति तिय दो दो दो दो नव हुँति इक्कसरा बीयम्मि सुयक्खंधे उग्गहपडिमाणमुवरि सत्तिक्का। आउत्तवाणएणं सुयाणुसारेण वहियव्वा आयारो य समप्पइ पण्णासदिणेहिं तत्थ पढमम्मि । सुयखंधे चउवीसं बीए छव्वीसई दिवसा बीयंगं सूयगडं तत्थ वि दो चेव होंति सुयखंधा। सोलस-सत्तज्झयणा कमेण उद्देसए सुणसु चउ तिय चउरो दो दो इक्कारस पढमयम्मि इक्कसरा । सत्तेव महज्झयणा इक्कसरा बीय सुयखंधे सूयगडो य समप्पइ तीसाए वासरेहि सयलो वि। पढमो वीसाए तहिं दिणेहिं बीओ तह दसेहिं ठाणंगे सुयखंधो एगो दस चेव होंति अज्झयणा । पढमं एगसरं च चउ चउ तिग सेस एगसरा समवाओ पुण नियमा सुयखंधविवज्जिओ चउत्थंगं । तिहि वासरेहिं गच्छइ ठाणं अट्ठारसदिणेहिं होति दसा-कप्पाईसुयखंधे दस दसा उ एगसरा । कप्पम्मि छ उद्देसा ववहारे दस विणिट्ठिा अज्झयणम्मि निसीहे वीसं उद्देसगा मुणेयव्वा । तीसेहिँ दिणेहिँ जंति हु सव्वाणि वि छेयसुत्ताणि निविएण जीयकप्पो आयामेणं तु जाइ पणकप्पो । तिहिं अंबिलेहिं उक्कालियाई ओवाइयाई चऊ ॥ १८॥ ॥ २०॥ ॥ २१ ॥ ।। २२ ॥ ॥ २३ ॥ ૨૯ For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy