SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11 ४८ ॥ ॥४९॥ ॥ ५० ॥ ॥ ५१ ॥ ॥५२॥ विज्जाणं परिवाडि पव्वे पव्वे य दिति आयरिया। मासद्धमासियाणं पव्वं पुण होइ मझं तु पक्खस्स अट्ठमी खलु मासस्स य पक्खियं मुणेयव्वं । सुत्ते वि एयचुण्णीए पक्खियं चउद्दसी भणिया विज्जासाहणसुत्तम्मि पक्खियं चउद्दसी न सेसम्मि। जं पुण भणंति केई उग्गमोहगहो एस आवस्सयचुण्णीए पक्खियदिवसम्मि पक्खपडिक्कमणं । भणियमह उ संसिज्जइ चउद्दसी पक्खपडिक्कमणं परिहारविहारीणं गीयत्थाणं च पुव्वसूरीणं । एस च्चिय आयरणा अलंघणिज्जा जओ भणियं आयरिय परंपराए समागयं जो उ आणुपुव्वीए । कोवेइ च्छेयवाइ जमालिनासं सनिस्सिहि ही जइ हुज्ज दुण्णि दिवसे चेइअजइवंदणोववासो अ। कस्स न हुज्जा ण मयं परं न सुत्तेण संवयइ जम्मि दिणे साहूणं जुत्तो सो तम्मि सावयाणं पि । पक्खपडिक्कमणविही न वाऽइतुल्लत्तभावाओ? देवी पभावई जं पडिमाइ जियंतसामिणीइ पुरो। अट्ठमीचउद्दसीसु निट्टवहारं सयमकासी पुत्थयवायणमुववासकरणमट्ठमीचउद्दसीदिवसे । जिणदाससावओ कासी पोसहं पुण उदाइनिवो एयं पुण सविसेसं भणियं आवस्सयाइचुण्णीसु । पक्खियविसेसकिच्चं भण्णंता चउद्दसीदिवसे जो पुण अमावसाए उववसो सायवाहणनिवस्स। अंतेउरस्स सुव्वए संभवे नंदीसरस्सा वि ॥५४॥ ॥ ५५ ॥ ॥५६॥ ॥ ५७ ॥ ॥५८॥ ॥ ५९॥ ११ For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy