SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 141
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुग्गलनिचओ खंधो, देसपएसा तहेव परमाणू । केवलअणुओ सुहुमो, दुफासइगवण्णगंधरसो ॥१२॥ गइलक्खणो य धम्मो, पुग्गलजीवाण गइपरियाण। गमणोवग्गहहेऊ, जलयरजीवाण सलिलं व ॥ १३ ॥ ठिइलक्खणो अहम्मो, पुग्गलजीवाण ठिइपरिणयाण । ठाणोवग्गहहेऊ, पहियाण व बहलतरुच्छाया ॥ १४ ॥ सपइटुं सव्वगयं, अवगासपयं च होइ आगासं । भावपरावित्तिलक्खण-मद्धादव्वं तु नेयव्वं ॥ १५॥ उवचयअवचयआयाण-मोक्खरसगंधवण्णामाईयं । छायायवतममाईण, लक्खणं पुग्गलाणं तु ॥१६॥ धम्मा धम्मा लोगा-गिई उकालो उ वत्तणारूवो। नियसंठाणविमुक्को, उवयारा दव्वपज्जाओ ॥ १७ ॥ सज्झुसिरवट्टगोलग-सरिसागारो अलोगआगासो। लोगो वेसाहट्ठिय-कडित्थकरजुगनरसरिच्छो ॥ १८ ॥ अचित्तमहाखंधो, लोगसमाणो य अट्ठसामइओ। पोग्गल णेगागारो, संखासंखट्टिई सेसा ॥ १९ ॥ एगजियपएससमो, धम्माऽधम्मो य लोगआगासो। कालदव्वं एगं, अणंतया पोग्गलअलोगा थोवो कालो लोगो, धम्मोऽधम्मो असंख तिण्णि समा। दुण्णि अणंता पुग्गलअलोगखपएसया कमसो ॥ २१ ॥ धम्माधम्मागासा, कालो परिणामिए इहं भावे । उदयपरिणामिए पुग्गला उ, सव्वेसु पुण जीवा ॥ २२ ॥ भावा छ च्चोवसमिय-खइयखओवसम-उदय परिणामा। दुनवट्ठारिगवीसा-तिगभेया संनिवाओ य ॥ २० ॥ ॥ २३॥ ૧૩૨ For Private And Personal Use Only
SR No.020963
Book TitleShastra Sandeshmala Part 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy