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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org. इक्कड सुण्णरहिओ दसगुणिओ तहइ कोडिमाहप्पं । तव्विर हे किं सण्णा लहेइ संखाइ सह मिल्लं इक्कं जिणेंदआणा सुण्णोवमिआइ आणरहियाई । वयदाणसीलनाणं न लहइ इक्कं पि तंबडयं जो कोइ आणारहिओ आपमुहं करेइ तिक्कालं । तस्स वि सव्वमसुद्धं आणा बज्जं अणुट्ठाणं जह कोइ मिस्सदिट्ठी उभओ कालं करेइ सज्झायं । नालियर दिव मणुआ अण्णे राउण्ण दोसत्तं ते डमरुव्व मणितुल्ला घंटालालुव्वककच किंतणया । कुक्करचम्मरसिलो सायं न लहेइ गुसिणस्स दंसणमूलो धम्मो उवइट्ठो जिणवरेर्हि सीसाणं । तं सोऊण सकण्णे दंसणहीणो न वंदिव्वो समत्तरयणभट्ठा जाणंत्ता बहुविहा वि सत्थाइ | सुद्धाराहणरहिआ भमंति तत्थेव तत्थेव जे दंसणेण भट्ठा नाणे भट्ठा चरित भट्ठा जे 1 ए ए भट्ट वि भट्ठा से पि जणं विणासंति जे केवि धम्मसीला संजमतवनियमजोगजुत्ता य । ताणं दोस भता भट्टा भट्ठत्तणं बिति Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जह मूलम्मि विणट्ठे दुमस्स परिवार नत्थि परिवुड्डी । तह जिणदंसणभट्ठा मूलविणट्टा ण सिझंति जह मूलाउ खंधो साहा परिवार बहुगुणो होइ । तह जिणदंसणमूलो निदिट्ठो मोक्खमग्गस्स लद्धूण य मणुयत्तं सहियं तह उत्तमेण गुत्तेणं । लद्धूण य समत्तं अक्खयसुक्खं च मुक्खं च ३४१ For Private And Personal Use Only ॥ ६५ ॥ ॥ ६६ ॥ ॥ ६७ ॥ ॥ ६८ ॥ ॥ ६९ ॥ ॥ ७० ॥ ॥ ७१ ॥ ॥ ७२ ॥ ॥ ७३ ॥ ॥ ७४ ॥ ।। ७५ ।। ॥ ७६ ॥
SR No.020962
Book TitleShastra Sandeshmala Part 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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