SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra छड्ड िकंत पणत्थि पसत्तउ नावइ ईस वसेण पमत्तउ www.kobatirth.org सज्ज उत्तम कुल संभूयउ पर गुण-दूषण घोसण मूयउ । पूइड पंडिउ गणयहिं रत्तउ जइता दासत्तणु धुवु पत्तउ अग्ग जले जिव तणु संतावइ काम्वर जिम्व मणु मोहावइ । छुरिया जिम्व जा देहु वियारइ सा कुलह किम्व चित्तु वियारइ चार तव दविणई सुह भवणाई हणई सुज्झाणइ कय निव्वाणइं । नाणु पणुल्लइ उप्पहि घल्लइ वेस पराणइ नरइ महल्लइ इम जाणेविणु पण रमणि, दूसिय गुण - मणि-माल | दूरेण मिल्लहु जिमू लहउ, सुग्गइ सुक्ख विसाल पारधि वइर परंपर कारणु पारधि जीवह करइ वियारणु । पारधि जहिं मुद्धिर्हि पारद्धी दद्धी तिहिं नारय गय लद्धी रण्णि वसहिं जि तण चरहिं, फुल्लिण कुवि न हणंति । तह मय मारणु आयरवि, किह भड़वाउ वहंति अप्पा पर अवयारयरि, दीसइ फुड पारद्धि विहलइ सयलाई सुचरियई, पोसइ पावह रिद्धि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૨૩૫ For Private And Personal Use Only ।। ७५ ।। ॥ ७६ ॥ ॥ ७७ ॥ ।। ७८ ।। ।। ७९ ।। ॥ ८० ॥ 1168 11 ॥ ८२ ॥
SR No.020962
Book TitleShastra Sandeshmala Part 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy