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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org थूलभद्दपमुहा साहु अ सुदंसणाइसिद्विवरा । थिरचित्ता तेसिं कयकिच्चा हि अईव थुत्तीहि वि य इह कापुरिसा रुट्ठाए महिलिआइ पाएण । ताडिज्जता वि पुणो चलणे लग्गंति कामंधा हुति हु निमित्तमित्तं इत्थीओ धम्मविग्घकरणम्मि । परमत्थओ अ अप्पा हेऊ विग्धं च धम्मस्स अप्पाणं अपवसे कुणंति जे तेसि तिजयमवि वसयं । जेसिं न वसो अप्पा ते हुंति वसे तिहुअणस्स जेण जिओ निअअप्पा दुग्गइदुक्खाई तेण जिणिआई । जेणप्पा नेव जिओ सो उ जिओ दुग्गइदुहेहि ता अप्पा कायव्वो सयावि विसएसु पंचसु विरत्तो । जह नेव भमइ भीसणभवकंतारे दुरुत्तारे रमणीगणतणकंचणमट्टिअमणिलिट्टमाइएसु सया । समया हियए जेसिं तेसिं मणे मुणसु वेरगं समयाअमिअरसेणं जस्स मणो भाविअं सया हुज्जा । तस्स मणे अरइजणयं नेव दुहं हुज्ज कइआवि समयावरसुरधेणू खेलइ लीलाइ जस्स मणसयणे । सो सयलवंच्छिआई पावइ जा सासयं ठाणं वेगरंगकुलयं एअं जो धरइ सुत्तअत्थजुअं । संवेगभाविअप्पा परमसुहं लहइ सो जीवो तवगणगयणदिवायर - सूरीसरइंदनंदिसुगुरूणं । सीसेण रइअमेयं कुलयं सपरोवएसकए ૧૫૦ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only ॥ २० ॥ ॥ २१ ॥ ॥ २२ ॥ ॥ २३ ॥ 11 38 11 ।। २५ ।। ॥ २६ ॥ ॥ २७ ॥ ।। २८ ।। ॥ २९ ॥ ॥ ३० ॥
SR No.020962
Book TitleShastra Sandeshmala Part 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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