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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७३७ सान्त्वयत संगणक-जनित व्यावहारिक संस्कृत-धातु-रूपावली षह (मर्षणे, भ्वादिगण, आत्मने, लुङ्) असहिष्यत असहिष्येताम् असहिष्यन्त असहिष्यथाः असहिष्येथाम असहिष्यध्वम असहिष्ये असहिष्यावहि असहिष्यामहि घान्त्व (साम प्रयोगे, चुरादिगण, परस्मै, लट्) सान्त्वयति सान्त्वयतः सान्त्वयन्ति सान्त्वयसि सान्त्वयथः सान्त्वयथ सान्त्वयामि सान्त्वयावः सान्त्वयामः षान्त्व (साम प्रयोगे, चुरादिगण, परस्मै, लोट्) सान्त्वयतु सान्त्वयताम् सान्त्वयन्तु सान्त्वय सान्त्वयतम् सान्त्वयानि सान्त्वयाव सान्त्वयाम षान्त्व (साम प्रयोगे, चुरादिगण, परस्मै, लङ्) असान्त्वयत् असान्त्वयताम् असान्त्वयन असान्त्वयः असान्त्वयतम् असान्त्वयत असान्त्वयम् असान्त्वयाव असान्त्वयाम षान्त्व (साम प्रयोगे, चुरादिगण, परस्मै, विधिलिङ्) सान्त्वयेत सान्त्वयेताम् सान्त्वयेयुः सान्त्वयेः सान्त्वयेतम सान्त्वयेत सान्त्वयेयम् सान्त्वयेव सान्त्वयेम षान्त्व (साम प्रयोगे, चुरादिगण, परस्मै, लिट्) सान्त्वयाञ्चकार सान्त्वयाञ्चक्रतुः सान्त्वयाञ्चक्रुः सान्त्वयाञ्चकर्थ सान्त्वयाञ्चक्रथुः सान्त्वयाञ्चक्र सान्त्वयाञ्चकार सान्त्वयाञ्चकृव सान्त्वयाञ्चकृम षान्त्व (साम प्रयोगे, चुरादिगण, परस्मै, लुट) सान्त्वयिता सान्त्वयितारौ सान्त्वयितारः सान्त्वयितासि सान्त्वयितास्थ सान्त्वयितास्मि सान्त्वयितास्वः स म: For Private and Personal Use Only
SR No.020942
Book TitleVyavaharik Sanskrit Dhatu Rupavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishnath Jha, Sudhirkumar Mishra, Ganganath Jha
PublisherVidyanidhi Prakashan
Publication Year2007
Total Pages815
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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