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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रस्तावना संगणकीय-भाषाविज्ञान नया विषय है जिसमें संस्कत के लिये असीमित संभावनाएं हैं प्रस्तुत पुस्तक की रचना का कार्य विगत कई वर्षों से चल रहा था । संस्कृत में संगणकीय-भाषाविज्ञान शोध हेतु धातु और धातुरूपों का डेटाबेस अत्यंत आवश्यक था जिसे कई छात्रों ने महसूस किया । इसलिये, संगणकीय-भाषाविज्ञान तथा संबंधित पाठ्यक्रमों में छोटे प्रोजेक्ट के रूप में धातुरूप डेटाबेस बनाने का कार्य एम.ए. के छात्रों को दिया गया। इस कार्य में कई अशुद्धियां रहीं जिसे हमारे संगणकीय संस्कृत के एम.फिल. के छात्रों ने सही करने - का प्रयास किया । अशद्धियां फिर भी रहीं । अतः इस पुस्तक के संपादकों ने अथक परिश्रम करके नये सिरे से धातुरूप डेटाबेस का निर्माण Java और M.S. SQL Sever के वेब-रूप में प्रस्तुत किया । इस प्रोजेक्ट के लिये संस्कृत में सामान्यतः प्रयुक्त ४३८ धातुओं का उनकी संपूर्ण जानकारी यथा गण, कर्म की स्थिति (सकर्मक, अकर्मक, द्विकर्मक), इट् आगम के साथ ही साथ सिद्धान्त-कौमुदी के अनुसार धातु से संबद्ध अर्थों का संकलन किया गया जिसमें कई समस्याएं आईं। यदि उपलब्ध धातु पाठों के वैविध्य को देखें तो सिद्धान्त-कौमुदी एवं S.M. Katre कृत Paninian Studies में धातुओं की संख्या गण-अनुसार निम्न-रूप में देख सकते हैं - क्रम गण सिद्धान्त-कौमुदी Paninian Studies संख्या - १०१० ००७२ भ्वादिगण अदादिगण जुहोत्यादिगण दिवादिगण १०५९ ००७२ ००२५ ०१३६ ००२४ ०१४० For Private and Personal Use Only
SR No.020942
Book TitleVyavaharik Sanskrit Dhatu Rupavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGirishnath Jha, Sudhirkumar Mishra, Ganganath Jha
PublisherVidyanidhi Prakashan
Publication Year2007
Total Pages815
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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