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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kallassagarsun Gyarmandir | ते आ प्रमाणे-कृष्णा, कृष्णराजि, रामा, रामरक्षिता, वसू, वसुगुप्ता, वसुमित्रा अने वसुंधरा. तेमां एक एक देवीनो परिवार वगेरे | बधुं शक्रनी पेठे जाणq. [प्र.] हे भगवन् ! देवेन्द्र देवराज ईशानना (लोकपाल) सोम नामे महाराजाने केटली पट्टराणीओ कही| व्याख्या- 1 छे 1 [उ०] हे आर्य ! तेने चार पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणे-पृथिवी, रात्री, रजनी, अने विद्युत. तेमां एक एकनो परिवार P१०शसके ४ावगेरे बाकी बधुं शक्रना लोकपालोनी पेठे जाणवू. ए प्रमाणे यावत् वरुण सुधी जाणवू. परन्तु विशेष ए छे के चोथा शतकमां कहा|81 उमेशा ॥९२२॥द प्रमाणे विमानो कहेवा, बाकी बधुं पूर्वनी पेठे जाण. यावत् ते मैथुननिमित्ते (राजधानीमा पोताना सिंहासन उपर वेसीने) भोग 4 // 12 // भोगवता नथी. हे मगवन् ! ते एमज , हे भगवन् ! ते एमज छे. // 406 // भगवत् सुधर्मस्वामीप्रणीत श्रीमद् भगवती सूत्रना 10 मा शतकमां पांचमा उद्देशानो मूलार्थ संपूर्ण थयो. RKASH उद्देशक 6 कहिं णं भंते ! मकस्स देविंदस्म देवरन्नो सभा सुहम्मा पन्नत्ता, गोयमा। जंबुद्दीवे 2 मंदरस्स पब्वयस्स दाहिणेणं इमीसे रयणप्पभाए एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव पंच वडेंसगा पन्नत्ता, तंजहा-अमोगवडेंसए जाव मझे सोहम्मबडेसए, से णं सोहम्मव.सए महाविमाणे अद्धतेरस य जोयणसयसहस्साई आयामविक्वंभेणंएवं जह सूरिया तहेव माणं तहेव उववाओ। सकस्स य अभिसेओ तहेव जह सूरियाभस्स // 1 // अलंकारअचणिया तहेब जाव आयरक्वत्ति, दो सागरोवमाई ठिती। सक्के णं भंते! देविंदे देवराया केमहिडीए जाव For Private and Personal use only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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