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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandie १०शतके | भगवन ! अमरेंद्र अने असुरकुमारोनो राजा चमर पोतानी चमरचंचा नामनी राजधानीमा सुधर्मा सभामा चमर नामे सिंहासनमा व्याख्या-1बेसी ते श्रुटिक (सीओना परिवार) साथे भोगववा लायक दिव्यभोगोने भोगवना समर्थ के ? [उ०] हे आयें। ! ए अर्थ योग्य नथी. [प्र०] हे भगवन् ! ए प्रमाणे आप शा हेतुथी कहो छो के चमरचंचा राजधानीमा ते अमुरेंद्र अने असुरकुमारनो राजा चमर दिव्य || उशाप 4912 // | भोगोने भोमववा समर्थ नयी ? [उ०] हे आर्यों ! असुरेंद्र अने असुरकुमारना राजा चमरनी चमरचंचा नामनी राजधानीमा सुधर्माद|॥९११॥ नामे सभामां माणवक चैत्यस्तंभने विषे वज्रमय अने गोल-वृत्त डाबडामा नांखेलां जिनना घणां अस्थिओ (हाडकांओ) के, जे मा असुरेंद्र अने असुरकुमारना राजा चमरने तथा चीजा घणां असुरकुमार देवोने अने देवीओने अर्चनीय, चंदनीय, नमस्कार करवा योग्य, पूजवा योग्य, सत्कार करवा योग्य अने समान करवा योग्य है, तथा कल्याण अने मंगलरूप देव चैत्यनी पेठे उपासना करवा योग्य छ, माटे ते जिनना अस्थिओना प्रणिधानमा [संनिधानमा] ते असुरेंद्र पोतानी राजधानीमां यावत् ( भोगो भोगववा] समर्थ नथी. तेथी हे आर्यो ! एम कहेवाय छे के चमर असुरेंद्र यावत् चमरचंचा राजधानीमां यावत् [ ते देवीओ साथे दिव्य भोगो) भोगववा समर्थ नथी. पण हे आर्यो ! ते अमुरेंद्र असुरकुमारराजा चमर चमरचंचा नामे राजधानीमां, सुधमों सभामां, चमरनामे सिंहासनमा बेसी चोसठ हजार सामानिक देवो, त्रायविंशक देवो, अने बीजा घणा असुरकुमार देवो तथा देवीओ साथे परिवृत थह मोटा अने निरन्तर थता नाट्य, गीत, अने वादित्रोना शब्दो वडे केवल परिवारनी ऋद्धिथी भोगो भोगचा समर्थ के, परन्तु मैथुननिमित्तक भोगो भोगववा समर्थ न . [प्र.] हे भगवन् ! असुरकुमारना इंद्र अने असुकुमारना राजा चमरना (लोकपाल) सोम महाराजाने केटली पट्टराणीओ कही के ? [उ.] हे आर्यों ! तेने चार पट्टराणीओ कही छे, ते आ प्रमाणे-कनका, कनकलता, चित्रगुप्ता For Prate and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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