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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyarmandir | वन्नओ, तत्थ णं पालासए सन्निवेसे तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया जहा चमरस्स जाव विहरंति, नए म्याख्या Iणं तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोबासगा पुबिपि पच्छावि उग्गा उग्गविहारी संविग्गा संविग्गविहारी १०शतके बहई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाग अत्ताण झूसेइ झूसित्ता मढि भत्ताई अण- उद्देश प्राप्ति | सणाए छेदेति 2 आलोइयपडिकंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किचा जाव उवबन्ना, जप्पभिई च णं भंते ! दा९०७॥ // 907 // पालासिगा तायत्तीससहाया गाहावई समणोवासगा सेसं जहा चमरस्स जाव उपवजंति। [प्र.] हे भगवन् ! नागकमारना इंद्र अने नागकुमारना राजा धरणने त्रायविंशक देवो छ / [उ.] हे गौतम! हा, 2. [प्र.] हे भगवन् ! ए प्रमाणे आप शा हेतुथी कहो छो के धरोन्द्रने त्रायविंशक देवो छ ? [उ०] हे गौतम ! नागकुमारना इंद्र अने नागकुमारना राजा धरणना त्रायस्त्रिंशक देवोना नामो शाश्वत कह्या हे, जेथी तेओ कदापि न हता एम नथी, कदापि नथी एम नथी, | अने कदापि न हशे एम पण नथी. यावत् अन्य च्यवे के अने अन्य उपजे छे. ए प्रमाणे भूतानंद अने यावत् महाघोष इन्द्रना त्रायविंशक देवो संबन्धे पण जाणवू. [प्र.] हे भगवन् ! देवेंद्र देवराज शक्रने त्रायविंशक देवो छ ? [उ.] हा गौतम ! छे. [प्र.] हे भगवन् ! ए प्रमाणे आप शा हेतुथी कहो छो के देवेंद्र देवराज शक्रने त्रायस्त्रिंशक देवो छे? [उ०] हे गौतम! शक्रना त्रायनिशक देवोनो संबन्ध आ प्रमाणे छे-ते काले-ते समये आ जंबूद्वीपना भरतवर्षमा पलाशक नामे सनिवेश हतो. वर्णन. ते पलाशक | नामे संनिवेशमा परस्पर सहाय करनार तेत्रीश श्रमणोपासको रहेता हता-इत्यादि जेम चमर संबन्धे का ते प्रमाणे यावत् तेओ| | विचरे छे. त्यारपछी परस्पर सहाय करनारा तेत्रीश गृहपति श्रमणोपासको पहेला अने पछी उग्र, उपविहारी, संविन अने संविग्न RECEXCAMBAR C4X64565 For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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