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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandie व्याख्याप्राप्तिः // 902 // उद्देशक 4 तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नाम नयरे होत्था वन्नओ, दूतिपलासए चेहए, सामी समोसढे, |१०शतके जाव परिसा पडिगया। तेणं कालेणं तेण समएण समणस्स भगवओ महावीरस्म जेडे अंतेवासी इंदभूई नाम: अणगारे जाव उड्डजाणू जाव विहरइ / तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी सा उनम्र महत्थी नाम अणगारे पयइभद्दए जहा रोहे जाव उबृजाणू जाब विहरह, तए णं से सामहत्थी अणगारे जायसड्ढे // 902 // जाव उट्टाए उठूत्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छइ तेणेव उवागच्छित्ता भगवं गोयमं तिक्खुत्तो जाव पज्जुवाममाणे एवं बयासी ते काले-ते समये वाणिज्य ग्राम नगर हतुं. वर्णन. त्या दृतिपलाश नामे चैत्य हतुं. त्यो भगवान् महावीर स्वामी समोसर्या. परिषद् धर्मोपदेश श्रवण करीने पाछी गइ. ते काले-ते समये श्रमण भगवंत महावीरना मोटा शिष्य इंद्रभूति नामे अनगार यावद् | ऊर्ध्वजान (जेना दींचण उभा छे एवा) यावद् विहरे छे. ते काले-ते समये अमण भगवान् महावीरना शिष्य श्यामहस्ती नामे अनगार हता. जे रोह नामे अनगारनी पेठे भद्रप्रकृतिना यावद् ऊर्ध्वजानु विहरता हता. त्यार पछी श्रद्धावाळा ते श्यामहस्ती अनगार यावत् उभा थइने ज्या भगवान् गौतम के त्यां आवे छे, आवीने भगवान गौतमने त्रणवार प्रदक्षिणा करी, वंदी, नमी अने पर्युपासना करता आ प्रमाणे बोल्या अस्थि णं भंते ! चमरस्म असुरिंदस्स असुरकुमारस्स तायत्तीसगा देवा !, हंता अस्थि, से केणटेणं For Prvate and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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