SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 56
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kabatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir १.शतके व्याख्याप्रशतिः M891 // उदेश // 49 // हे. 1 अथवा एकेन्द्रियोना देशो अने त्रीन्द्रियनो देश छे--इत्यादि पूर्व प्रमाणे अहिं त्रण विकल्पो जाणवा. ए प्रमाणे यावद् अनिद्रिय सुधी त्रण विकल्पो-मांगा कहेवा, तेमां जे जीवना प्रदेशो छे. ते अवश्य एकेन्द्रियोना प्रदेशो छ, 1 अथवा एकेन्द्रियोना प्रदेशो अने बेइन्द्रियना प्रदेशो छे, 2 अथवा एकेन्द्रियोना प्रदेशो अने बेइन्द्रियोना प्रदेशो छे. ए प्रमाणे सर्वत्र प्रथम भांगा सिबाय के भांगा जाणवा, ए प्रमाणे यावद् अनिद्रिय मुधी जाणवू. हवे जे अजीवो छे ते वे प्रकारना कया छे, ते आ प्रमाणे-रूपिअजीव अने बीजा | अरूपिअजीव. जे रूपिअजीवो के ते चार प्रकारना कह्या छे, ते आ प्रमाणे-१ स्कंधो, यावत् 4 परमाणुपुद्गलो. तथा जे अरूपिअ-ते जीवो छे ते सात प्रकारना कह्या छे, ते आ प्रमाणे-१ नोधर्मास्तिकायरूप धर्मास्तिकायनो देश, 2 धर्मास्तिकायना प्रदेशो; ए प्रमाणे द्र अधर्मास्तिकाय संबन्धे पण जाणवू; यावत् आकाशास्तिकायना प्रदेशो अने अद्धासमय. विदिशाओमां जीवो नथी, माटे सर्वत्र देश विषयक भांगो जाणयो. [प्र०] हे भगवन् ! याम्या (दक्षिण) दिशा शु जीवरूप छे-इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न. [उ.] हे गौतम ! जेम* ऐन्द्री दिशा संबन्धे को (सू. 6) तेम सर्व अहीं जाणवू. जेम आमेयी दिशा संबन्धे का (सू. 7) ते प्रमाणे नैऋती दिशा माटे जाणवू.जेम ऐन्द्री दिशा संबन्धे का तेम वारुणी (पश्चिम) दिशा माटे जाणवू. वायव्यदिशाने आग्रेयीनी पेठे जाणवू. ऐन्द्रीनी | पेठे सोम्या अने आग्नेयीनी पेठे ऐशानी दिशा जाणवी. तथा विमला-ऊर्ध्वदिशा-मां जेम आग्नेयीमां जीवो कहा तेम जीवो अने ऐन्द्रीमा अजीबो कहा तेम अजीबो जाणवा. ए प्रमाणे तमा-अधोदिशा-ने विषे पण जाणवं, परन्तु विशेष ए छे के, तमा दिशामां 4ii अरूपिअजीवो छ प्रकारना छे, कारण के त्यां अद्धासमय (काल) नी. // 394 / / कति णं भंते! सरीरा पन्नता, गोयमा ! पंच सरीरा पन्नत्ता, तंजहा-ओरालिए जाव कम्मए / ओरालिय For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy