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________________ Shri Mahavir Jan Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsun Gyanmande tes पापणामां का तेम वानव्यन्तर, ज्योतिष्क अने वैमानिकपणामा कहेतु . ए प्रमाणे यावत् वैमानिकने वैमानिकपणामां कहेवु. ए व्याख्या . TA प्राप्ति रीते माते पुद्ग परिवों कहेवा; ज्या होय छे त्यां अतीत-थयेला अने पुरस्कृत-भावी पण अनन्ता कोवा, अने 'ज्यां नयी त्यांET // 1.680 अतीत अने मावी बने पण नथी-' एम कहे. यावद्-[प्र०] वैमानिकोने त्रैमानिकपणामां केटला आनप्राणपुद्गलपरिवर्तो थयेका 1.46 में! [उ०] अनन्ता धयेला . [प्र.] केटला बचाना है। [30] अनन्ता थवाना के. // 446 // से केणगुण भंते / एवं बुषा-ओरालियपोग्गलपरियहा ओ.?, गोयमा! जणं जीवेणं ओरालियमरीरे बट्टा माणेणं ओरालियसरीरपयोगाई दबाई ओरालियसरीरत्ताए गहियाई बाई पुडाई कडाई पट्टवियाई निविहार अभिनिविट्ठाई अभिममन्नागया परियाइयाई परिणामियाई निजिन्नाई निसिरियाई निसिहाई भवंति से तेणटेणं गोयमा! एवं बुचर ओरालियपोग्गलपरियट्टे ओरा०२, एवं वेउब्वियपोग्गलपरिगहेवि, नवरं बेउब्बियसरीरे पहमाणेणं वेउब्बियमरीरपयोगाई सेसं तं चेच सव्वं एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियहे, नवरं आणापाणुपयो गाई मन्बदम्बाई आणापाणत्ताए सेसं तं व // ओरालियपोग्गलपरियहे णं भंते ! केवइकालस्स निब्बत्तिनइ ?, गोषमा! अगंताहिं उस्सप्पिणिओसप्पिणीहिं पतिकालस्स निव्वत्तिजइ, एवं वेडब्धियपोग्गलपरियझेवि, एवं जाव आणापाणुगोग्गलपरियडेवि // पयस्स भंते ! भोरालियपोग्गलपरियहनिम्वत्सणाकालस्म बेउवियपो ग्गला जाप आणुपाणुपोग्गलपरियहनिम्वत्तणाकालस्स कयर कयरेहितो जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सम्वत्थोवे कम्मग्गपोग्गलपरियदृनिव्वत्तणाकाले तेयापोग्गलपरियनिव्वत्तणाकाले अर्णनगुणे ओरालियपोग्गल . For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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