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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyarmandir 9 शतके प्राप्ति // 853 // बहाए कयबलिकम्मे जाव सरीरे जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छद तेणेव उवागच्छित्ता अभिषेक कर्या बाद ते जमालि क्षत्रियकुमारना माता-पिता हाथ जोडी यावत् तेने जय अने विजयथी वधावे छे. वधावीने द्र तेओए आ प्रमाणे कमु के-'हे पुत्र! तुं कहे के तने अमे शुं दइए, शुं आपीए, अथवा तारे कांइ प्रयोजन के ? त्यारे ते जमालि 18 उद्देश६ क्षत्रियकुमारे पोताना माता-पिताने आ प्रमाणे का के-हे माता-पिता ! हुं कुत्रिकापणधी एक रजोहरण अने एक पात्र मंगाववा // 53 // तथा एक हजामने बोलाववा इच्छु छु; त्यारे ते जमालि क्षत्रियकुमारना पिताए कौटुंबिक पुरुषोने बोलाव्या अने बोलावीने कह्यु 6 के-'हे देवानुप्रियो ! शीघ्र आपणा खजानामाथी त्रण लाख (सोनेया) ने लइने तेमांथी चे लाख (सोनया) वडे कुत्रिकापणथी एक रजोहरण अने एक पात्र लावो, तथा एक लाख सोनैया आपीने एक हजामने बोलावो. ज्यारे जमालि क्षत्रिकुमारना पिताए ते कौटुंचिक पुरुषोने ए प्रमाणे आज्ञा करी त्यारे तेओ खुश थया, तुष्ट थया, अने हाथ जोडीने यावत् पोताना स्वामीनु वचन स्वीकारीने तुरतज खजानामांथी त्रण लाख सुवर्णमुद्रा लइने यावत् हजामने बोलावे छे, त्यारवाद जमालि क्षत्रियकुमारना पिताए कौटुंबिक पुरुषो द्वारा बोलावेलो ते हजाम खुश थयो, तुष्ट थयो, न्हायो, अने बलिकर्म (देवपूजा) करी, यावत् तेणे पोतानुं शरीर शणगायु, अने पछी ज्यां जमालि क्षत्रियकुमारनो पिता हे त्यां ते आवे छे. करयल जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पियरं जाणं विजएणं बद्धावेइ जएणं विजएणं वद्धावित्ता एवं वया सी-संदिसंतु ण देवाणुप्पिया! जं मए करणिजं, तए णं से जमालिस्स वत्तियकुमारस्म पिया तं कासवगं एवं वयासी-तुम देवाणुप्पिया! जमालिस्म खत्तियकुमारस्स परेण जत्तणं चउरंगुलवले निक्खमणपयोगे अग्गकेसे | For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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