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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kalassagarsun Gyarmandie पापा है|११शतके 51 उदेश:११ 10.1 // // 1001 हत्थी हथिप्पवरे सब्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए अट्ठ जाणाई जाणप्पथराई अट्ट जुगाई जुगप्पवराई एवं सिवि| याओ एवं संदमाणीओ एवं गिल्लीओ चिल्लीओ अg वियडजाणाई बियडजाणप्पवराई अट्ट रहे पारिजाणिए अट्ठ रहे संगामिए अट्ठ आसे आसप्पवरे अट्ट हत्थी हस्थिप्पवरे अट्ठ गामे गामप्पवरे दसकुलसाहस्सिएणं गामेण ! ___त्यार पछी ते महाबल कुमारना माता पिता एवा प्रकारनु आ प्रीतिदान आपे छ, ते आ प्रमाणे आठ कोटि हिरण्य,आठ क्रोड सोनैया, मुकुटोमां उत्तम एवा आठ मुकुट, कुंडलयुगलमा उत्तम एवी आठ कुंडलनी जोडी, हारोमा उत्तम एवा आठ हार, अर्धहारमां श्रेष्ठ एवा आठ अर्धहार, एकसरा हारमा उत्तम एवा आठ एकसरा हार, एज प्रमाणे मुक्तावलीओ, कनकावलीओ अने रत्ना वलीओ जाणवी कडा युगलमा उत्तम एवा आठ कहानी जोडी, ए प्रमाणे तुडिय-बाजुबंधनी जोडी, रेशमी वस्त्र युगलमा उत्तम एवा आठ रेशमी वस्त्रनी जोडी, ए प्रमाणे सूतराउ बननी जोडीओमा उत्तम एवी आठस्तराउ वखनी ओडीओ, ए प्रमाणे टसरनी जोडीओ, पट्टयुगलो, दुकूलघुगलो, आठ श्री, आठ हो, ए प्रमाणे धी, कीर्ति, बुद्धि, अने लक्ष्मी देवोओनी प्रतिमा जाणवी. आठ नंदो, आठ भद्रो, ताडमां उत्तम एवा आठ तालवृक्ष-र सर्वरत्नमय जाणवा. पोताना भवनना केतु-चिह्वरूप धजमां उत्तम एवा | आठ बजो. दस हजार गायोर्नु एक वज-गोकुल थाय छे, तेवा गोकुलमा उत्तम एवा आठ गोकुलो, नाटकोमा उत्तम अने बत्रीश माणसोथी भजवी शकाय एका आठ नाटको,घोडाओमा उत्तम एवा आठ घोडा,आ बघुरखमय जाणवू.मांडागार समान हाथीओमां उत्तम एका आठ रत्नमय हाथीओ, भांडागार समान सर्वरत्नमय यानोमां श्रेष्ठ एवा आठ यानो, युग्यमा उत्तम आठ युग्यो (अमुक जातना वाहनो) ए प्रमाणे शिविका, स्पदंमानिका ए प्रमाणे गिल्ली,(हाथीनी उपरनी अंबाडी), थिल्लिओ (घोडाना आडा पलाणो), %C44 For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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