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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir | भंते ! देवाणं किं गए वहुए अगए बहुगी, गोयमा गए बहुए, नो अगए बहुए, गयाउ से अगए असंखेजहभागे व्याख्या|अगयाउ से गए असंखेजगुणे, लोए ण गोधमा! पमहालए पन्नत्त / ११शतके प्राप्तिः [उ.] हे भगवन् ! लोक केटलो मोटो कह्यो छे ? [उ०] हे गौतम! आ जंबूद्वीप नामे द्वीप सर्व द्वीपो अने समुद्रोनी अभ्य- उद्देशा१. 1967 // 14 तर छ, यावत् परिधि युक्त छे. ते काले-ते समये महर्धिक अने यावत् महासुखवाळा छ देवो जंबूद्वीपमा मेरुपर्वतने विपे मेरुपर्वतनी || चूलिकाने चारे तरफ वींटाइने उभा रहे, अने नीचे मोटी चार दिककुमारीओ चार बलिपिंडने ग्रहण करीने जंबूद्वीपनी चारे दिशामां बहार मुख राखीने उभी रहे, पछी तेओ ने चार बलिपिंडने एक साथे बाहेर फेंके, तोपण हे गौतम ! तेमांनो एक एक देव ते चार बलिपिडने पृथिवी उपर पडया पहेलां शीघ्र ग्रहण करवा समर्थ छ. हे गौतम! एवी गतिवाळा ते देवोमांथी एक देव उत्कृष्ट यावद् / त्वरित देवमतिबडे पूर्व दिशा तरफ गयो, ए प्रमाणे एक दक्षिण दिशा तरफ गयो, ए प्रमाणे एक पश्चिम दिशामां, एक उचर दिशामां, एक ऊर्ध्व दिशामा अने एक देव अधोदिशामां गयो. हवे ते काले, ते समये हजार वर्षना आयुषवाळो एक बाळक उत्पन्न थियो, त्यारपछी ते बाळकना मातापिता मरण पाम्या, तोपण नेटला वखत मुधी पण ने गएला देवो लोकना अंतने प्राप्त करी शकता|४ नथी. त्यारबाद ते बाळकनुं आयुष क्षीण थयु-पूरूं थयु, तोपण ते देवो लोकान्तने प्राप्त करी शकता नथी. पछी ते बाळकना अस्थि अने मजा नाश पाम्या, तोपण ते देवो लोकना अंतने पामी शकता नथी, त्यारबाद सात पेढी सुधी तेना कुलवंश नष्ट थया, तोपण ते देवो लोकांतने प्राप्त करी शकता नथी. पछी ते बाळकनुं नामगोत्र पण नष्ट थयु तोपण ते देवो लोकना अंतने पामी शकता नथी. II जो एमकेतो हे भगवन ! ते देवोए ओळगेलो मार्ग घणो छ के ओळंग्या विनानो मार्ग धणो छेउ० हे गौतम ! ते | For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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