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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir Is व्याख्या प्रज्ञप्तिः // 942 // ११शतके उद्देशा९ // 942 // S उद्देशक 9. तेणं कालेणं तेणं ममएणं हथिणापुरे नाम नगरे होत्था वनओ, तस्स णं हस्थिणागपुरस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिम दिसीमागे पत्थ णं सहसबवणे णाम उजाणे होस्था मम्वोउयपुष्फफलसमिद्धे रम्मे गंदणवणसंनिप्यगासे सुहसीयलच्छाए मणोरमे सादुफले अकंटए पामादीप जाव पडिरूवे, तत्थ णं हथिणापुरे नगरे सिवे नाम राया होत्था महयाहिमवंत बन्नओ, तस्स ण सिवस्स रन्नो धारिणी नाम देवी होत्था सुकुमालपाणिपाया वन्नओ. तस्स ण सिवस्स रन्नो पुत्ते धारणीए अत्तए सिवभहए नाम कुमारे होत्था सुकुमाल. जहा सूरियकते जाव पच्छुवेवमाणे पच्चुवेवमाणे विहरइ. ते काले-ते समय हस्तिनापुर नामे नगर हतुं वर्णन. ते हस्तिनापुर नगरनी बहार उतर पूर्व दिशामां-ईशानकोणमां-सहस्राम्रवन नामे उद्यान हतुं. ते उद्यान सर्व ऋतुना पुष्प अने फलथी समृद्ध, रम्य अने नंदनवन समान हतुं. तेनी छाया सुखकारक अने शीतळ हती, ते मनोहर, स्वादिष्ठफलवालु, कंटकरहित. प्रसन्नता आपनार, यावद प्रतिरूम-मुन्दर-हतु, ते हस्तिनापुर नगरमां शिव | नामे राजा हतो, ते मोट। हिमाचल पर्वतनी पेठे [सब राजाओमो] श्रेष्ठ हतो, [इत्यादि राजानु वर्णन कहे. ते शिव राजाने धारिणी | नामे पद्दराणी हती. तेना हाथ पग मुकुमाल हता,-[इत्यादि श्रीजें वर्णन कहेg.] ते शिवराजाने धारिणी राणीथी उत्पन्न थयेलो शिव | भद्र नामे पुत्र हतो, तेना हाथ पग सुकुमाल हता-इत्यादि कुमारनु वर्णन सूर्यकांत राजकुमारनी पेठे कहे. यावत ते कुमार [राज्य, राष्ट्र, सैन्यादिन] जोतो जोतो विहरे . tor For Private and Personal Use Only
SR No.020923
Book TitleVyakhyapragnapti Sutra Part 04
Original Sutra AuthorSudharmaswami
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages238
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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