SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विषय-सूची प्राक्कथन पृष्ठ दो शब्द संकेताक्षर भूमिका १-३ ४-५ १-३६ (१) संस्कृत व्याकरण दर्शन : स्वरूप, प्रतिपाद्य एवं परम्परा 'दर्शन' शब्द का मौलिक अभिप्राय, संस्कृत व्याकरण शास्त्र अथवा शब्द दर्शन; एक ही 'शब्द' तत्त्व की प्रमुख पाँच रूपों में स्थिति; 'शब्दब्रह्म' के स्वरूप-ज्ञान से मुक्ति; व्याकरण दर्शन का प्रतिपाद्य; व्याकरण दर्शन की परम्परा । (२) नागेश भट्ट और उनकी कृतियाँ नागेश भट्ट; समय; जीवन वृत्त; विद्या-गुरु; शिष्य-परम्परा; कृतियाँ; कृतियों का कालक्रम; नागेश भट्ट-कृत तीन मंजूषा ग्रन्थ; वैयाकरण-सिद्धान्तमंजूषा का दूसरा नाम स्फोटवाद; तीनों मंजूषा ग्रन्थों का प्रतिपाद्य; वैयाकरणसिद्धान्तलघुमंजूषा तथा वैयाकरणसिद्धान्तपरमलघुमंजूषा का तुलनात्मक अध्ययन एवं परमलघुमंजूषा का वैशिष्ट्य; परमलघुमंजूषा पर वैयाकरणभूषणसार का प्रभाव; परमलघुमंजूषा का महत्त्व; प्रस्तुत अध्ययन । वैयाकरणसिद्धान्तपरमल घुमंजूषा शक्ति-निरूपण १-६२ मंगलाचरण; आठ प्रकार के स्फोट, आठ प्रकार के स्फोटों में वाक्यस्फोट की प्रमुखता; 'वाक्यस्फोट' के स्वरूप-बोधन के लिये प्रकृति-प्रत्यय की कल्पना; 'वर्णस्फोट' को मानने की आवश्यकता तथा 'स्थानी' और 'आदेश' की वाचकता के विषय में विचार; व्याकरण-भेद से 'स्थानी' आदि के भिन्नभिन्न होने पर भी शब्द से अर्थ का बोध होने में कोई क्षति नही होती; प्राप्तों के द्वारा उपदिष्ट शब्द को भी प्रमाण कोटि में माना गया है; शाब्द बोध में कार्य-कारण-भाव के स्वरूप का For Private and Personal Use Only
SR No.020919
Book TitleVyakaran Siddhant Param Laghu Manjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagesh Bhatt, Kapildev Shastri
PublisherKurukshetra Vishvavidyalay Prakashan
Publication Year1975
Total Pages518
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy