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________________ कने गया, तेणें वैरें कोणिक काली कुमार आदि देई १० नाई ३३ सहस घोडा ३३ सहसहाथी ३३ सहस रथ ३३ कोडी पायक सहित प्रावी विशाला नगरी बीटी, तिबारे चेडो महाराजा १८ राजा ५७ सहस्त्र घोडा ५७ सहस्त्र हाथी ५७ सहस्त्र रथ ५७ कोफी पायक सहित साम्हो थयो, पिण चेका राजाने एहवी प्रतिज्ञा दिहा एक वाण मंके तेणे बाणे करी अग्रेसरी सेनानी होय तेहने जीपे दस दिहाडे कोणिकना काली आदि देई दसे बांधव विणास्था, तेहवं कोणिके चमरेंद्र आराध्यो इंद्रे देहरदा दीधी, चमरेंद्र महा शिला कंटक रथ मुशल रणने विर्ष दीधा, महा युछहुवा, एक कोफी शसीलाख मनुष्य पन्या , यतः , कोणिय चेडारमा रणमिबसवइलरकमणुयाणं । चमरि देणनिया वीयदिणेलरकचुलसीया ॥ १ ॥ एगो सोहम्मसुरो बीओदिठीमणुमहाविदेहमि । दसस हस्समच्छलीए सेसाशोनरयतिरिएसु॥२॥ एहवो युछ थयो तोही पुण विशालानगरी कोणिक लेई नसक्यो, तहवे कोणिक चिंतातुर थयो घणेकाले नवितव्यताना वशथी देववाणी हुई, यतः, समणे जह कूलवालूए मागहियगणियंगमिस्सए ॥ राया असोगचंदे विसाला नयरिंगहिस्सए ॥ १ ॥ जो कूल बालुा साधु मागधिका गणिका तेडावीने कह्यो, अहो गणिका ! कल बालूओ साधु इहां -
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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