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करवा लागा हेमहाराज! तम्हे धन्य को जेहवो इंद्रे यखाण्यो तेहवो देख्यो, देवता राजाने बेमा टीना गोला देईने स्वर्ग पहुंतो, एक गोलो सुनंदाने दीधो ते मांहि कुंडलयुगल नीकल्या , बीजो गोलो चेलणाने दीधो ते मांहि शामला प्रमाण मोतीनो अठारसरो हार नीकल्यो, एकदा श्रेणिक अंतेउरसहित नगवंतने वंदना करी पालो बलता चेलणायें शीतकाले एक साधुध्यान करतो देखी शा पणे घरे भावी रात्रिय आवासे सूतां एहवो वचन कह्यो किम करतो होसी तेह एवचन सुनि श्रेणिक ना मनमां संदेह ऊपनो, ए अंतेउर खोटो एहवो विचारी अन्नयकुमार ने जालवानो शादेश देई नगवंत पासे गयो, नगवंत बोल्या, चेफानी साते बेटी सतीजे, एवचन सुनी उतावलसो पाबा बलतां नगर मे धूम्रना फकोल देखी शनय कु मारने कह्यो, जाहिरे नूंडा, एवचन सुनी अन्नये पिताने कह्यो तुम्हारो एवचनहुँतो जेहुं मुखथी कहं तं जाहि तिवारे तंदीदा लेजे एवचन तुम्हारा मुख थी निकल्यो के तिवारे पितानी आग्याये अन्नय कुमारे दीदा लीधी, हिवे कोणिक दुर्दीत हुवो लघु नाई हल्लविहल्ल अनेवीजी माताना काली प्रमुख दश नायां ने कही कोणि के पिता श्रेणिक ने काष्ट पंजरे घाली राज्य ग्यारे नागें बहिच्यो बत्र चामर पोते राख्या सेचानक हाथी
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