SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ७१ ). क्त श्रावकसंघसिणगार | आणंद काम देवादिक धनधनतसञ्श्वतार ॥ १ ॥ धातकी पूर्वऐरवत ‍ नाग तेजगनाथ | पूरणप्रेमेंजावसुं करूंपूजाजोळी हाथ॥ २॥ राग आस्याउरी काफी ॥ जानुप्रभुविन पनूंन कोई कायाचलतप्राणसेरोई एदेसी ॥ मा नोप्रभुविनतारन कोई तारकहोयेतारेसोई एटेक ॥ प्रापनतरे और कोंक्युतारे ज्यूंपत्यरजलजोई काष्टप्र वहणतारकजगमे जानतसबजगजोइ ता० ॥ १ ॥ केsप्रिया संग केईकरवाण लंगअजोग्यजगोई नइमु द्राएतारककेरी कहारैयेमनमोई ता० ॥ २ ॥ शांत मुद्राप्र बैठे पद्माणै निश्चेशिवपुंज होई जिन नि करततरे कई जाणोप्रवचनेसोइ ता० ॥ ३ ॥ वि जयप्रज्ज्ञनारायणसत्यप्रज्ञ महामृगेंद्रमनमोई चिंता मणी सोगिनधिमृगेंद्र उपवासितमनमोई ता०४ ॥ पद्मचंद्रबोधकेंद्र चिंतादिक उतराहिकमलधोई ‍ पाशितदेवजलनारिक अमोघनागेंद्र दुखखोई ता० ५ ॥ नीलोत्पलञ्छ्प्रकंपपुरोहित उन्नयेंद्र पार्श्वना थ निवचसवियोषितसेवितनावे जिनदासकशिव साथ ता० ॥ ६ ॥ इति समाप्ता ॥ जलचंदनपुष्पधूपनै रथदीपाकृतकैर्निवेद्य वस्त्रैः ॥ उपचारवरैर्वय जिनेंद्रान् रुगिरैरद्यमुदायजामहे १ ॥ "I थ बावीसमीपूजा ॥ दोहा ॥ बाविसेपरीसहदु ख खमैं महामुनिराये । समितिगुप्तिमनधारके वं दीजेतखपाय ॥ १ ॥ धातकीपश्चिमऐरवत अतीते
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy