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________________ षण चढावेथी प्रावी बेसता नथी नचढावेथीनागी जाता नथी जिनबिंबतो ध्येय पदार्थनो आलंबन रूपडे बाकी तरवो डूबवोतो पोताना मनना परि णाम थकीले जिम द्रोणाचार्यनी मूर्तिनो स्थापन करीने एक निल्लेबाणविद्या सिझकरी हती तिम जि नबिंबने सम्मुख बेठेथकी नवी जीवनो नावशुद्ध रहेने तेथी आत्मानी सिद्धिथायडे अने जिनबिंब सर्व सरीखाछे तदापि धर्मकरणी पोतपोतानी आ नाय प्रमाणे करो पण एक बीजा ऊपरद्वेष माक रो नगवाननीप्रतिमा बांदवामा समकित भ्रष्टथा यतो तेहोंने संगे जमवाथी वली लडकीलेवा देवा थी समकित किम रहसे जमवो तथा लडकीदेवो लेवो जेमकरिये तेमप्रतिमा यांदवी जोइये मारी धारणामांतो एमआवेडे ॥ ॥ ॥ श्वेतांबरी मततो मारा धारवामां सत्यजे तेमां पण आचार्यो फेटोडा नाखी सक्या तेटला नाखी नाखीने पोतपोतानाबाडा वारीलीधाजे बीजो कोई उपाय नलाग्यो तो क्रिया वली तिथोंमांज फेरफार नाखीने पोताना गच्छ बांधी लीधाबे जिमकोई दस पांच जणनी गाडर एटले मेढर सा थे चरती होय तारे पिछाणवा सारू कोईये गेरू नो ठीको कस्यो भने कोईवीजी चीजनी जुदी जुदी निसाणी पोतपोतानी राखे तिम भाचा यों ये क्रियामां वली पर्बतिथोंमां फेरफारकरीने पो
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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