SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३३ ) - APPYERSars mom मासम्मINARODARA दर्शणनेचारित्र त्रपदीईपायारे धनधनगोयमगण धार वीरपसायारे ध्यावो०॥ ७॥ उपसमशंबरने विवेक सुरीनासाजरे जिनसेवंताजिनदास लहेशि वराजरे । ध्यावो० ॥८॥ इतिसंपूर्ण ॥ अथनगणी समोतवन ॥जीरेसफलदिवसथयोआजनो एदेशी॥ जीरेमल्लिजिणंदनमीकरी सयगुरुपसाये कस्तंपाठो येकर्मतणं बंधउदयउपाये धन२ त्रीजिनज्ञानने नाख्योकर्मविचार धन२ श्रीजिन० ॥ १ ॥ठेक ॥ जीरेनाणदसणवेदनीमोह नामगोत्रनेआये घेतरा यप्रकृतीसर्वसतअठावनथाये धन० ॥ २ ॥ जीरेप णनवदोयेष्ठावीस एकसेत्रणनेदोय चारपांचशनु क्रमेसर्व जीवसतायेंशोय धन० ॥३॥ जीरेउदय उदीरणावत्रीस नहीबांधेएकसोवीस सत्तावनहेतुये करी बोल्याश्रीजगदीस धन० ॥ ४ ॥ जीरेअभि ग्रहीतशनन्निग्रही अनिनिवेसशंसय अनानोगमि थ्यात्वए पंचनंदकहेय धन० ॥ ५ ॥ जीरे इंद्रीपं चमनएकस्युं विराधेबकाये पणवीकषायेरक्तरही योगपनरसहहोय धन० ॥ ६ ॥ जीरेएसत्तावनहे तये जीवबांधेबेकर्म विवेकधिनाजिनदासने कम फलसेरेधर्म धन० ॥ ७॥ इतिश्रीसंपूर्ण ॥ अथवी समोतवन ॥ कुंअरगंनारा नजरेदेखताजी एदेसी। बारगुण ते शोभ जिनवराजी श्रीमुनिसुव्रतनाणरे नंदनसामंतरायनाजी जननीष्मांगुणखाणरे बारे० ॥१॥ चर्मध्यानदोयसुध्यावतांजी पर्मज्ञानप्रगटाय - - - - - -
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy