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________________ - ------- - - - जखपरेजीवपाज्यरीवअघघरेफोकटघजे ॥१३॥ नरकगामी अज्ञानपामी अधर्मउपदेसकरे ॥ मस्तमाताप्रज्ञानदाताविषवृक्षपोषणकरे ॥ १४ ॥ कोमलबचने मुग्धजनने नयभ्रमणप्रतिबूजवे ॥ नामअपनपंकहरनस्थापीजगजीवरीजवे ॥ १५॥ मतमेमाता ममतेराता हठहठीलाहठग्रहे ॥ हीनमतियादीनपुनियारत्नबोडीकाचग्रहे ॥ १६ ॥ रचीरंगेमोहनीसंगे सुमतीसंदूरेरहें। जीवशनादोशकृतस्वादीकागज्यूंनीबेरहे ॥ १७॥ हंससंगे रहीरंगे परमहंसपदपाइये॥ सठकेसंगे रहीउमंगे ज्ञानगुणगमाइये॥ १८॥ राखचोडी मढमोडी नयेयोगंधरबके ॥ जटाधारी भुजपसारी हंससमीपेरहेखके॥ १९ ॥ हठनको बुदतावो तरेनतारे ओरकुं॥ ऐसेकुगुरू सगनकरू कहेकोणसिधचोरकुं ॥ २०॥ सोकवारण दुरकगारण सेविएत्रीजिनपती॥ चोखेचित्तेसुकृतवित्तेध्याइयेधरिसनमती ॥२१॥ रहेन्यारा लगेप्यारा अलखरूपअगोचरी॥ चोसठइंद्र मुनिजिनंद्रसेवेधरीचित्तेनावरी॥२२॥ टालीदंन नेरहेअदंग श्रीथूलनद्रमुनीपरे॥ कुमतिवारीसुमतिधारीगयेकेइमुनिशिवघरे ॥ २३ ॥ शिवकुमारे श्रीनवकारे कष्टदूरनिवारियो॥ लियोसंजम धरीउंजम अरणकमुनिन्नवतस्यो २४॥ याविधनरवर जिनकमलधरजन्ममरणनिवारियो॥
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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