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________________ ( १४५ ). राज झापीश तेचित्रनावीये राजाने कह्यो राजा कुरुथई एणेप्रकारे पोतानापुत्रने मारेछे नंदिसेणनो पूर्वकृतपापनो उदयच्छा व्योवे आज मरणपामीने पेलीनरकमांजाई धणासंसारभूमी अंतेसमकित पा मी चारित्रपाली मोजाशे ॥ ६ ॥ ॥ ॥ अथ सातमां अध्ययननी कथा ॥ पाटलीपुरनगरे सिद्धार्थराजा राजकरतोहतो ति हां सागरदत्तनामे सार्थवाह रेहतोहतो तेनो उंबर दशनामे पुत्रहतो एकदा श्री वीरस्वामी पधारथा पूर्व नीपरे गौतम बोरवा गया तिहां एकपुरुष रोगी खांसीदमताव अंगसवेजीगया हाथपग गलीगयाछे लोही पिरूजरी रह्यों करुणावचनें पुकारतो घरघ र नीखमांगतोफरे पणकोई नही एहबो देखीने पूरवनी परें श्रीनाथनेो भगवंते कह्यो विजय पुरनगरे एकधन्वंतरिनामे वैद्यहतो कलामांकुशल हतो पण मांसनो लोभी लालची हतो तथा जेदवाई बाणावे तेने पण मच्छनूं बकरानूं इत्यादिकनूं मांसखाबानी जलामणकरे एमघणापाप उपारजी मरीने छठीनरकेजाई चवीने सागरदत्तनोपुत्र उंबर दत्तनामेथयो तारे १६ महारोगऊपना तेपूर्वकृतपा पनायोगे दुखनोगवीरह्यो एम ७२ वर्ष जोगवी पेली नरके जाई अनेक नवभ्रमतो महाविदेहे मोद जाये ॥ ७ ॥ ॥ आठमां अध्ययननी कथा ॥ ॥
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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