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________________ प्रथम मृगापुत्रनी कथा, मृगानामेगामे श्रीमहा वीरस्वामी समोसस्या तिहांनो राजा विजयकृत्री प्रमुख अनेक वांदवाव्या परिषदा ऊठीगई पके गौतमे जात्यंध किसेकमेथाय एपूछो नगवंते क ह्यो इणही गामना विजयदत्रीनी राणीमृगावती ने एकपुत्र प्रसव्योछे तेने हाथपग मुखनासाआदि कोईनथी फकत लोधोजे तेने नोयरामा राख्योडे नरक जेवा दुखभोगवेछ एबात सोनली शाज्ञालेई तेने जोवा गौतमस्वामी गया पाका शावीपग्रो हेनगवंत! ऐणे पूर्वनवे किसा पापकर्मकस्या तथा हवे केहवा २ भवकरसे ने कधीमोद जाशे? प्रन्नु कहे त्नरतदोत्रे सतद्वारावती मोटो नगरहतो तेने पासे विजयवर्द्धननामे गांमहतो तेमां एकरजपूत हतो तेमहाअधमी निर्दयी मांसाहारी मार जोर लूटकाट करतो मरणपामी पेले नरकेगयो तिहां थीचवी इहां मृगावती राणीने कुंखे ऊपनोबे तेथी माताने घणा कष्टथया इहां २६ वर्ष शायुनोगी मरीने सिंहथाज्ञो तिहां घणा जीवनो बधकरशे मरीने पेलेनरकेजई सर्पथाशे मरीनेवीजे नरकेजई हंसकपदी थासे इम संसार भ्रमते २ एकेंद्रीवेंद्री जलचर थलचरना भवकरी यंतेमहाबिदेहे नरनव लेई मोद जाशे ॥ १ ॥ ॥ ॥ शथ बीजो अध्ययन ॥ बाणिज्यनामे ग्रामनो मित्रनामे राजाने श्रीना nam ONOMInamo
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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