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________________ । - लाकपडावालातो कहे जे अमे शुरुचारित्रियावां अमाराजेम करसे ते तरसे एहवो कहे पण पो तानी भूल देखतानथी जेसिद्धांतमा साफकह्योबेजे नरंगेजानधोवेजा। तेबूकता नथी पोताना हाथेर गीनेकपडापेरेबे ने जिनवचनरूपी अमोल माणक दरीनाखेचे एटलोजनथी मासें मासे विनती पत्र वली बमासे विनतीपत्र भेजवानी आखडी वली पोताना चित्रपटनी पूजा करीने नोजन करवानी शाखडी दिरावे तथा धर्मोपकरण एहवं कही ने बहुमोला पूठाठवणी पुस्तक लेवेले वली आप णा उपासकोंने चीठी भेजेजे निमित्त कहेजे चेला करे सवारीमां वेसे मार्ग चालतां आधाकमी आहारलेवे तेसेर्व साधुनी किरिया केसाध्वाना सनी किरियाने ते ज्ञानी जाणे मारेतो सर्वे पूज वायोग्य अने आपण नाइयोंने एहवी खीबे के तेतो पीलाकपडामांज धर्म समफेले बर्ष द स पंद्रयासरे थया तारे बेजणा गंधरप पीलाकप डापेरी संवेगीसाधूनो वेषलेई कछमारवाडमां फ रीने हजारोनं धन ठगी लाब्याहता एहवू सांन फेलबे तथा हालपण बेत्रण पीलाकपडावाला पासे लाखोनोद्र ब्यबे एहवो सांजलवामां आवेडे एवा स्ते नाईसाहेबो कपडामां वा रूपमां धर्मनथी ध मतो गुणोमांजे ते गुणवंत तो विरला जाणवा ते पण नास्तीनथी परिक्षा करि ध्यावो ने तेविषे मा ।
SR No.020913
Book TitleViveksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Hiralal Hansraj
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1878
Total Pages237
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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