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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्री-वीरवर्धमानचरित १३. पुराणसार संग्रह-इसमें चौबीस तीर्थंकरों, चक्रवतियों आदि शलाकापुरुषों और उनके समयमें होनेवाले अन्य भी महापुरुषोंके चरितोंका वर्णन गद्य और पद्यमें किया गया है। इसका प्रमाण ५००० श्लोक है। १४. श्रीपाल चरित १६०० श्लोक प्रमाण है। १५. सुकुमाल चरित ११०० श्लोक प्रमाण है । १६. सुदर्शन चरित ९०० श्लोक प्रमाण है। १७. व्रत कथाकोष-इसका प्रमाण १६५७ श्लोक है। इसमें २१ व्रतों की कथाएँ दी गयी हैं । जिनका विवरण इस प्रकार है१. एकावली व्रत कथा ११. श्रुतस्कन्ध कथा २. द्विकावली , १२. दश लक्षण व्रत कथा ३. रत्नावली , १३. कनकावली , ४. नन्दीश्वर पंक्ति कथा १४. पुरन्दर विधि , ५. शीलकल्याण कथा १५. मुक्तावली व्रत , ६. नक्षत्रमाला व्रत कथा १६. अक्षय निधि , ७. विमान पंक्ति , १७. सुगन्ध दशमी , ८. मेरुपंक्ति , १८. जिनमुखावलोकन कथा ९. श्रुत ज्ञानविधि कथा १९. मुकुट सप्तमी व्रत कथा १०. सुख सम्पत्ति , २०. चन्दन षष्ठी व्रत कथा २१. अनन्त व्रत कथा कथा । १८. तत्त्वार्थदीपक-तत्त्वार्थसूत्रके प्रमुख विषयों पर प्रकाश डालनेवाले इस ग्रन्थका प्रमाण ११०० श्लोक है। १९. आराधना प्रतिबोध ५५ श्लोक हैं। २०. समाधि मरणोत्साह दीपक २१५ श्लोक हैं। उपर्युक्त सर्व ग्रन्थोंकी हस्तलिखित प्रतियाँ ऐ० पन्नालाल दि० जैन सरस्वती भवनमें विद्यमान हैं। उन्हींके आधार पर उक्त ग्रन्थोंके श्लोकोंका प्रमाण दिया गया है। इनके अतिरिक्त सकलकीति-रचित समाधिमरणोत्साह दीपक नामक ग्रन्थ सानुवाद प्रकाशित हो चुका है। उक्त ग्रन्थोंके अतिरिक्त राजस्थानके जैनशास्त्र भण्डारोंको ग्रन्थ सूचीसे सकलकीति-रचित निम्नलिखित ग्रन्थोंका और भी पता चला है १. अष्टाह्निक पूजा संस्कृत ९. आदित्यवार कथा हिन्दी २. गणधर वलय पूजा , १०. आराधना प्रतिबोध , ३. उत्तरपुराण ११. मुक्तावली कथा ४. राम पुराण १२. मुक्तावली रास , ५. यशोधर चरित १३. सोलहकारण रास , ६. धन्यकुमार चरित , १४. रक्षाबन्धन कथा संस्कृत ७. चन्द्रप्रभ चरित , १५. नेमीश्वर गीत हिन्दी ८. जम्बूस्वामि चरित , १६. रत्नत्रय रास उक्त ग्रन्थोंके अतिरिक्त पं. परमानन्द शास्त्रीके लेखानुसार निम्नलिखित ग्रन्थ भी सकलकीतिने रचे हैं For Private And Personal Use Only
SR No.020901
Book TitleVir Vardhaman Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSakalkirti, Hiralal Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1974
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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